पाकिस्तान का आतंकवाद प्रेम जगजाहिर है, जिसे दुनिया का हर देश जानता है। ऐसे में एक बार फिर उसकी बड़ी उम्मीदों को झटका लगना वाला है, क्योंकि ऐसी पूरी संभावना है कि वह अप्रैल 2022 तक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा। पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए एक कार्य योजना को पूरा करने में विफल रहा है और वह अभी भी इस दिशा में काम कर रहा है।
पेरिस में बुधवार से शुरू होगी FATF की बैठक
सूत्रों के अनुसार, पेरिस में बुधवार से शुरू होने वाली एफएटीएफ की आगामी तीन दिवसीय बैठक में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान की प्रगति और 27-सूत्रीय कार्य योजना के अनुपालन का आकलन और चर्चा होगी।
पाकिस्तान का नाम अप्रैल 2022 में एफएटीएफ के अगले सत्र तक ग्रे लिस्ट में रहने की उम्मीद है, क्योंकि यह कार्य योजना के पूर्ण अनुपालन को सुनिश्चित करने में विफल रहा है, जिसे वॉचडॉग (निगरानी करने वाला) के क्षेत्रीय साझेदार, एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
27-सूत्रीय कार्य योजना में छह को पूरा करने में विफल रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान एफएटीएफ में अपने पिछले आकलन में 27-सूत्रीय कार्य योजना में से कम से कम छह को पूरा करने में विफल रहा है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना और यह प्रदर्शित करना शामिल है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पदनामों को लागू करने में विदेशों से सहायता मांगी जा रही है।
एफएटीएफ के आकलन पाकिस्तान के लिए बहुत महत्व रखते हैं, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), यूएन और एग्मोस्ट ग्रुप ऑफ फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट्स सहित वित्तीय दाता भी पर्यवेक्षक संगठनों के रूप में एफएटीएफ बैठक का हिस्सा बनने जा रहे हैं।
एफएटीएफ करेगी अपने अगले कदम पर चर्चा
एफएटीएफ ने एक बयान में कहा, यह आभासी संपत्तियों और उनके सेवा प्रदाताओं पर संशोधित मार्गदर्शन सहित प्रमुख रिपोटरें को अंतिम रूप देगा और लाभकारी स्वामित्व की पारदर्शिता पर अपने मानकों को मजबूत करने के लिए अगले कदमों पर चर्चा करेगा।
25 जून को, एफएटीएफ ने काम करने के लिए छह नए एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग क्षेत्रों को सौंपते हुए, पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया था। हालांकि, इसने पाकिस्तान की प्रगति और अपने देश की कार्य योजना को संबोधित करने के प्रयासों को मान्यता दी थी, जो कि आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए संदर्भित है।
एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर आने का संघर्ष जारी
प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार कार्य योजना के सभी 27 बिंदुओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है, जो इसे एफएटीएफ की ग्रे सूची से हटाने का आधार है। देश की डूबती अर्थव्यवस्था आईएमएफ द्वारा वित्तीय खैरात पर चल रही है, जिसके परिणामस्वरूप बुनियादी उपयोगिताओं और पेट्रोलियम की कीमतों में भारी उछाल आया है, जिससे स्थानीय लोगों को देश के प्रमुख के रूप में खान की क्षमताओं और समझ पर सवाल उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इमरान सरकार का खोखला दावा
हालांकि, सरकार का कहना है कि उसने देश में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इसने जोर देकर कहा है कि इसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से हटाया जाना चाहिए। कानून मंत्री फारोघ नसीम ने अपने एक बयान में कहा है कि पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए सब कुछ किया है, इसलिए अब देश का मामला ‘वास्तव में एफएटीएफ की निष्पक्षता की परीक्षा’ है।