भारत का अभिन्न हिस्सा और देश का ताज कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर भारत-पाकिस्तान के मध्य आजादी के समय से ही विवाद का मुद्दा रहा है। लेकिन भारत अनेकों बार इस मसले पर खुलकर अपनी बात दुनिया के मंच और पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से कह चुका है कि कश्मीर भारत का हमेशा से अभिन्न अंग था और रहेगा।
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, किसी बाहरी को कोई हक नहीं
कश्मीर भारत का आंतरिक और अंदरूनी मसला है, जिस पर किसी भी बाहरी देश को कोई हक नहीं बनता है। इसके बावजूद पाकिस्तान इस मुद्दें को विश्व के समक्ष उठाता है। कश्मीर मसले पर तुर्की के बाद पाकिस्तान को अजरबैजान का भी साथ मिल रहा है। पाकिस्तान में अजरबैजान के राजदूत हैं खजार फर्हदोव। उन्होंने पाकिस्तानी अखाबार ट्रिब्यून से बातचीत में कहा है कि अजरबैजान ने कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को खुलकर सपोर्ट करता है और हम मानते हैं कि मसले को यूनाइटेड नेशंस प्रस्तावों के तहत सुलझाना चाहिए।
कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को मिला इन देशों का साथ
बता दें कि अजरबैजान से पहले कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को तुर्की और मलेशिया जैसे देशों का साथ भी मिलता रहा है। तुर्की ने कश्मीर मसले पर लगातार भारत को घेरने की नाकाम कोशिश की है। फर्हदोव ने एक कार्यक्रम में कहा है कि पाकिस्तान और अजरबैजान के बीच विशेष संबंध है। पाकिस्तान ने अजरबैजान की अखंडता से संबंधित सभी मामलों का खुलकर समर्थन किया है। पाकिस्तान पहला देश है जिसने अजरबैजान को स्वीकार किया।
पाकिस्तानी असेंबली के अध्यक्ष ने कहा- पाक और अजरबैजान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध
मौके पर पाकिस्तानी असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने कहा है कि पाकिस्तान और अजरबैजान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। हम दोनों देश शांति से रहना चाहते हैं लेकिन पाकिस्तान कश्मीर और अजरबैजान कराबाख जैसे मुद्दों का सामना कर रहा है। कैसर ने कश्मीर मसले पर समर्थन करने के लिए अजरबैजान को शुक्रिया कहा है।
कैसर ने पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बारे में भी बताया है। उन्होंने कहा कि तीनों देशों के बीच 2017 में एक उच्च स्तरीय संपर्क मंच कीई स्थापना की गई थी। तीनों देशों के बीच आपसी संबंध अब मजबूत हो रहे हैं।
अजरबैजान और आर्मीनिया
अजरबैजान और आर्मीनिया
बता दें कि ‘किलिंग मशीन’ कहे जाने वाले इन आतंकवादियों को मुस्लिम देश अजरबैजान के पक्ष में ईसाई देश आर्मीनिया से युद्ध के लिए काफी पैसा दिया गया था। ये सभी अल हमजा ब्रिगेड के आतंकी थे। तुर्की और पाकिस्तान ने इस दावे का खंडन किया था। तो वहीं, पाकिस्तान के भी कई आतंकवादी इस इलाके में काफी सक्रिय थे, इसके कई प्रमाण भी मिले है।