पाकिस्तान जून 2020 तक फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहेगा। वैश्विक आतंकवाद वित्तपोषण पर नजर रखने वाले निकाय फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने शुक्रवार को आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू पाने में नाकामी के कारण पाकिस्तान को अगले चार माह तक यानी जून तक ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है।
साथ ही एफएटीएफ ने उसे चेतावनी दी कि अगर वह लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को वित्तीय सहायता देना बंद नहीं करता तो उसके कड़ी कार्रवाई का सामना करना होगा। पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) के चल रहे पूर्ण सत्र में यह फैसला किया गया।
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एक सूत्र ने बताया कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में ही रखने का फैसला किया। उसने कहा कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को यह चेतावनी भी दी कि अगर वह जून महीने तक पूरी कार्य योजना नहीं बनाता तो उसके कामकाज पर असर पड़ सकता है। अगर वह आतंकवाद समेत 25 सूत्री ऐक्शन प्लान को पूरा नहीं करता है तो उसे ‘काली सूची (ब्लैक लिस्ट)’ में डाल दिया जाएगा।
पाकिस्तान सरकार ने अपनी जनता से वादा किया था कि वह फरवरी में एफएटीएफ की ‘संदिग्ध सूची’ से बाहर निकल जाएगा। चीन, मलयेशिया और तुर्की की मदद से पाकिस्तान ‘काली सूची’ में जाने से तो बच गया, लेकिन उसे ‘ग्रे लिस्ट’ से बचने के लिए 13 देशों के समर्थन की दरकार थी, जो उसे नहीं मिला।
पाकिस्तान ने ‘ग्रे लिस्ट’ से बचने के लिए पूरा तिकड़म लगाया और कई देशों ने उसके समर्थन में बोला भी। लेकिन तकनीकी ग्राउंड और सबूतों ने उसे बेदम कर दिया और एफएटीएफ ने पाया कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं रखा जा सकता है।