पाकिस्तान आतंकवाद की पैरवी करने वाला देश बन चुका है इसकी फितरत से दुनिया का हर देश वाकिफ है। ऐसे में पाकिस्तान, अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार का सबसे बड़ा हिमायती बनकर सामने आया है। पाकिस्तान लगातार तालिबान के लिए वकालत करता आ रहा है। अब इस्लामाबाद तालिबान शासन की छवि को विदेशों में चमकाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
कई विदेश मंत्री 19 दिसंबर को इस्लामाबाद में जमा हो रहे हैं
पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि 57 सदस्यों वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के कई विदेश मंत्री 19 दिसंबर को इस्लामाबाद में जमा हो रहे हैं। इस बैठक का पूरा फोकस अफगानिस्तान रहने वाला है। यह बैठक अफगानिस्तान के लोगों के लिए है।
कुरैशी ने सभी सदस्य देशों से बैठक में भाग लेने की अपील की है
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सफाई देते हुए कहा है कि इस बैठक का मतलब तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता देना नहीं है। उन्होंने सभी सदस्य देशों से बैठक में भाग लेने की अपील की है। कहा है कि यह बैठक अफगानिस्तान के लोगों के लिए है। वह किसी स्पेशल ग्रुप के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान को मत छोड़िए, संपर्क बनाए रखिए।
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तालिबान सरकार लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा और रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध
इस बैठक में अफगानिस्तान तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भी शामिल हो रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि नई सरकार लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा और रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि तालिबान की ये प्रतिबद्धता चार महीने बीत जाने के बाद भी नहीं नजर आई है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री की चेतावनी, बोले ऐसा किया तो……
कुरैशी ने कहा है कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन सहित कई विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत में चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान से बातचीत न करने से आतंकवाद से लड़ने के प्रयासों को नुकसान पहुंचेगा। कुरैशी ने यह भी कहा है कि अगर अफगान को बिना मदद के छोड़ दिया जाता है तो अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन जैसे आतंकी समूह फिर से संगठित हो जाएंगे।