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पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने कहा- डिप्टी स्पीकर के पास प्रस्ताव खारिज करने का अधिकार नहीं, सुनवाई कल तक के लिए स्थगित

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मुनीब अख्तर ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के फैसले के बाद पैदा हुए संवैधानिक संकट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान कहा कि एक अध्यक्ष (स्पीकर) सदन के नियमों के अनुसार एक प्रस्ताव को खारिज कर सकता है।

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मुनीब अख्तर ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के फैसले के बाद पैदा हुए संवैधानिक संकट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान कहा कि एक अध्यक्ष (स्पीकर) सदन के नियमों के अनुसार एक प्रस्ताव को खारिज कर सकता है। पाकिस्तान की संसद भंग करने के खिलाफ विपक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है।  
इमरान के इशारे पर राष्ट्रपति ने सदन को भंग कर दिया था 
प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए डिप्टी स्पीकर ने इसे खारिज कर दिया था, जिसके बाद खान के इशारे पर राष्ट्रपति ने सदन को भंग कर दिया था। न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर, न्यायमूर्ति एजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मजहर आलम और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखेल के साथ ही प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय बड़ी पीठ ने सोमवार को बंदियाल द्वारा लिए गए नोटिस पर सुनवाई फिर से शुरू की।  
उन्हें किसी पर भरोसा नहीं है, तो बेंच खत्म हो जाएगी 
सुनवाई की शुरुआत में पीपीपी के वकील फारूक एच. नाइक ने कोर्ट से मामले की सुनवाई के लिए फुल कोर्ट बेंच यानी संपूर्ण अदालत की पीठ बनाने का अनुरोध किया। नाइक ने कहा, अदालत को (इस) महत्वपूर्ण संवैधानिक मामले के लिए एक पूर्ण-न्यायालय की पीठ का गठन करना चाहिए। नाइक के अनुरोध का जवाब देते हुए, बंदियाल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर नाइक कहते हैं कि उन्हें किसी पर भरोसा नहीं है, तो बेंच खत्म हो जाएगी।  
आप हमें बताएं कि आपके मामले का आधार क्या है 
प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि क्या नाइक साझा करना चाहेंगे कि कौन से संवैधानिक प्रश्न के लिए पूर्ण-न्यायालय पीठ के गठन की आवश्यकता है। शीर्ष न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा, संवैधानिक प्रश्नों को देखना अदालत का काम है। आप हमें बताएं कि आपके मामले का आधार क्या है। पूर्ण-न्यायालय की पीठ ने दो साल तक एक मामले पर 66 सुनवाई की। फुल-कोर्ट बेंच के कारण कम से कम 12,000 मामले लंबित हैं।  
संवैधानिक सवालों पर पूर्ण-न्यायालय की पीठ की जरूरत है तो 
बंदियाल ने आगे कहा कि एक पूर्ण-न्यायालय की पीठ दस लाख मामलों के बैकलॉग (मुकदमों का ढेर) का कारण बन चुकी है। बंदियाल ने कहा, अगर मामले में संवैधानिक सवालों पर पूर्ण-न्यायालय की पीठ की जरूरत है तो अदालत आपको बताएगी। बंदियाल ने आगे कहा, प्रधानमंत्री इमरान खान और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में कोई भी आदेश और कार्रवाई इस अदालत के आदेश के अधीन होगी।

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