नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की अहम बैठक सात बार टालने के बाद आखिरकार मंगलवार को संभव हो गई। हालांकि, बैठक में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अनुपस्थित रहे। ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को अपने मतभेदों को दूर करने के लिए अधिक वक्त दिए जाने को लेकर पार्टी की स्थायी समिति की अहम बैठक सात बार टाली जा चुकी थी।
स्थायी समिति के सदस्य एवं एनसीपी के वरिष्ठ नेता गणेश शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री ओली बैठक में शामिल नहीं हुए। मंगलवार को भी बैठक दो घंटे के लिए स्थगित की गई क्योंकि दोनों नेताओं ने अहम मुद्दों के हल के लिए अनौपचारिक चर्चा करने की खातिर कुछ मांगा। स्थायी समिति की बैठक काठमांडू के बालूवतार में प्रधानमंत्री के आवास पर दोपहर करीब एक बज कर 20 मिनट पर शुरू हुई।
पार्टी के वरिष्ठ नेता देव गुरूंग ने मीडिया से कहा कि बैठक प्रधानमंत्री ओली की सहमति से शुरू हई थी, लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुए। बैठक में पार्टी की 441 सदस्यीय केंद्रीय समिति की तारीख भी निर्धारित किए जाने की संभावना है, यह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच सत्ता साझेदारी समझौते के हल में एक अहम भूमिका निभाएगी। स्थायीय समिति में 45 सदस्य हैं। इसकी बैठक में प्रधानमंत्री ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला होने की उम्मीद है।
वह प्रचंड नीत असंतुष्ट समूह द्वारा शीर्ष पद छोड़ने के लिए अत्यधिक दबाव का सामना कर रहे हैं। पार्टी की 45 सदस्यीय शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक सबसे पहले 24 जून को बुलाई गई थी, जिसके पहले प्रधानमंत्री ओली ने आरोप लगाया था कि कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा, तीन भारतीय क्षेत्रों को देश के नए राजनीतिक नक्शे में शामिल करने के बाद उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए पार्टी के कुछ नेता दक्षिणी पड़ोसी देश के साथ मिल गए हैं।
प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे लोग इस्तीफा मांग रहे हैं, न कि भारत मांग रहा है। उन्होंने ओली को अपने आरोप के समर्थन में सबूत दिखाने को भी कहा। पूर्व प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ समेत एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ‘न तो राजनीतिक रूप से सही थी और न ही कूटनीतिक रूप से उपयुक्त थी।’ प्रचंड ने सोमवार को कहा था कि पार्टी के अंदर मतभेदों को दूर करने की कोशिशें जारी हैं।