फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा पेंशन प्रणाली में सुधार के लिए लाए गए बिल को सीनेट द्वारा मंजूरी मिल गई है। शनिवार को देर रात इस सुधार बिल को मंजूरी देने के लिए सीनेट में मतदान किया गया। बता दें कि मैक्रों के दूसरे कार्यकाल की नीव मानी जा रही इस नीति का विरोध देशभर में हो रहा है। सुधारों के तहत रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 साल की जाएगी, जिसका लोग कई हफ्तों से सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं।
195 मतों से सुधारों को पारित
सीनेटरों ने 112 के मुकाबले 195 मतों से सुधारों को पारित किया है। इस मतदान के बाद पेंशन प्रणाली में सुधार के लिए नया कानून बनने के करीब एक और कदम बढ़ गया है। अब एक समिति एक अंतिम मसौदा तैयार करेगी, जिसे अंतिम वोट के लिए सीनेट और नेशनल असेंबली दोनों को प्रस्तुत किया जाएगा।
आयु को 62 से बढ़ाकर 64 करना
पेंशन बिल में सुधार का मुख्य बिंदु न्यूनतम रिटायरमेंट (सेवानिवृत्ति) की आयु को 62 से बढ़ाकर 64 करना है, जिसे बहुत से लोग युवाओं के लिए अनुचित मानते हैं। विरोध कर रहे एक युवक ने सुधारों पर बोलते हुए कहा कि अगर रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई गई तो युवाओं के लिए नई नौकरियों में कमी आएगी।
विरोध की मुख्य वजह
फ्रांस के ज्यादातर कर्मचारी संगठन इस सुधार का विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस सुधार से मध्य वर्ग के लोगों पर टेक्स का भार बढ़ेगा। दरअसल, ऐसा इसलिए है, क्योंकि लोगों को अब पेंशन पाने के लिए ज्यादा साल काम करना होगा और इस दौरान उन्हें अपनी सैलरी से भारी टैक्स भी भरना होगा।
मैक्रों सरकार का यह है पक्ष
फ्रांस सरकार का कहना है कि पेंशन सिस्टम को संतुलित करने के लिए यह सुधार जरूरी है। सरकार के अनुसार इस सुधार से लोगों को अब कम से कम 43 साल तक काम करना होगा, जो कि 2027 से लागू करने की योजना है। हालांकि, सरकार ने कुछ खास पेशों को इससे छूट दी है, जिसके पुलिस और दमकलकर्मी हैं। सरकार का कहना है कि फ्रांस के लोग अब ज्यादा जीते हैं जिसके चलते उन्हें अब ज्यादा काम भी करना चाहिए। प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न का कहना है कि इस कदम से 2030 तक पेंशन सिस्टम संतुलित हो जाएगा और ज्यादा काम करने से लोगों को ज्यादा पेंशन मिलेगी। उनका कहना है कि ज्यादा काम करने से लोग ज्यादा टैक्स भी भरेंगे और इसका असर जीडीपी पर दिखेगा।