श्यामन: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने आज चेताया कि उ.कोरिया के मसले का जब तक कूटनीतिक समाधान नहीं होता तब तक तबाही का खतरा बना रहेगा। हालांकि, उन्होंने उत्तर कोरिया पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी अपील को ‘ ‘बेकार ‘ ‘ करार दिया, जिसे प्योंगयांग से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर दुनिया की दो महाशक्तियों में मतभेद के तौर पर देखा जा रहा है।
पुतिन की टिप्पणियों से लग रहा है कि संयुक्त राष्ट्र में भिडंत को लेकर रेखाएं खिंच गई हैं, जिसमें मॉस्को और चीन एक तरफ होंगे और दूसरी तरफ अमेरिका एवं उसके सहयोगी देश।अमेरिका ने कल मांग की थी कि उत्तर कोरिया की ओर से हाइड्रोजन बम के परीक्षण के मुद्दे पर उसके खिलाफ ‘ ‘कठोरतम संभावित कदम ‘ ‘ उठाए जाएं। इस आह्वान के बाद उत्तर कोरिया के प्रतिबंधित हथियार कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जारी उसका गतिरोध और गहराता नजर आया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उत्तर कोरिया पर अब तक सात तरह के प्रतिबंध लगा चुका है।
अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ-साथ सुरक्षा परिषद के सदस्य फ्रांस और ब्रिटेन ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की है। हालांकि, पुतिन ने साफ कर दिया कि रूस और ज्यादा प्रतिबंध लगाए जाने के खिलाफ है।
जबकि चीन, जिसे उत्तर कोरिया का संरक्षक और सबसे करीबी राजनीतिक एवं आर्थिक साझेदार माना जाता है, ने अब तक इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया है लेकिन लगता है कि वह प्योंगयांग पर दबाव कायम करने का प्रतिरोध करेगा। चीन में एक अंतरराष्ट्रीय सभा के बाद पुतिन ने कहा कि रूस उत्तर कोरिया के ‘ ‘उकसावे वाले कदम ‘ ‘ की निंदा करता है। हालांकि, उन्होंने वार्ता का आह्वान किया और ऐसी किसी कार्वाई से परहेज करने को कहा जिससे संकट बढ़ता हो।
‘ब्रिक्स ‘ शिखर सम्मेलन के बाद चीन के श्यामन शहर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘ ‘ऐसे हालात में किसी तरह का प्रतिबंध लगाना बेकार और निष्प्रभावी है। इससे वैश्विक तबाही हो सकती है और बड़ संख्या में लोग इसके शिकार हो सकते हैं। ‘ ‘