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रक्षा क्षेत्र में अमेरिका के साथ सहयोग और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने टू प्लस टू वार्ता के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इसमें उन्होंने कहा, बीते कुछ वर्षों में हमने हथियार अधिग्रहण में विविधता लाने और स्वदेशीकरण करने का फैसला किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत और अमेरिका रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं वहीं औद्योगिक सुरक्षा अनुलग्नक (आईएसए) सह-निर्माण और सह-उत्पादन के लिए आवश्यक ढांचागत जरूरतों को पूरा करेगा। 
राजनाथ सिंह ने मजबूत प्रतिरक्षा को भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी का अहम हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने बीच वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और अधिक गहरा करने तथा इसका और विस्तार करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि टू प्लस टू वार्ता ने राजनयिक और सुरक्षा नीतियों में तालमेल को और बेहतर बनाया है। दोनों देशों ने उच्च स्तर पर संबंधों को और गहरा करने का एक समझदार फैसला लिया है। 
उन्होंने कहा कि नवंबर 2019 में अमेरिका और भारत की तीनों रक्षा सेवाओं के बीच हुआ अभ्यास ‘एक्सरसाइज टाइगर ट्रिम्फ’ इसी का उदाहरण है। बीते कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच कोमकासा (सीओएमसीएएसए) और लेमोआ (एलईएमओए) समेत कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौते हुए हैं। रक्षा मंत्री ने टू प्लस टू वार्ता के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। 
इसमें उन्होंने कहा, ‘‘बीते कुछ वर्षों में हमने हथियार अधिग्रहण में विविधता लाने और स्वदेशीकरण करने का फैसला किया है। इससे अमेरिका के साथ रक्षा कारोबार बढ़ा है, यह इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत और अमेरिका के बीच, रक्षा उत्पादन क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए भी काम कर रहे हैं। 
अमेरिका के साथ आईएसए समझौता होने से रक्षा उत्पादन केंद्र में सह-निर्माण और सह-उत्पादन संपर्क बनाने की खातिर आवश्यक ढांचा प्राप्त हो सकेगा।’’ टू प्लस टू वार्ता में राजनाथ सिंह  ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इससे गोपनीय प्रोद्यौगिकी तथा जानकारी का सुगम हस्तांतरण संभव हो सकेगा।’’ उन्होंने कहा कि इससे मेक इन इंडिया और भारत में दो रक्षा उत्पादन गलियारों जैसी सरकार की महत्वपूर्ण पहलों का महत्व भी और बढ़ जाएगा। 
एस्पर ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ संबंध और गहरे करने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहिए भले ही इसके लिए नीति में, नियामक या कानून में बदलाव क्यों न करना पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘मंत्री राजनाथ सिंह और मैंने द्विपक्षीय बैठक में इस बारे में बात की।’’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा कारोबार अब बढ़कर 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। 
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने अमेरिकी कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में और निवेश के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष टू प्लस टू वार्ता में जो लक्ष्य निर्धारित किए गए थे, दोनों देशों ने उन्हें प्राप्त कर लिया है। इसमें उनके तथा अमेरिकी रक्षा मंत्री के बीच हॉटलाइन स्थापित करना, पहला त्रि-सेवा अभ्यास, रक्षा नीति समूह वार्ता आदि शामिल हैं। 
एस्पर ने कहा, ‘‘रक्षा प्रौद्योगिकी तथा कारोबार पहल के तहत तीन समझौतों को अंतिम रूप दे दिया गया है। इससे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के सह-निर्माण और सह-उत्पादन की हमारी क्षमता में इजाफा होगा।’’ 

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