संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारी सहमति से एक प्रस्ताव पारित करके यूक्रेन में मानवीय संकट के लिए रूस को दोषी ठहराया है। प्रस्ताव में तुरंत संघर्ष विराम लागू करने और लाखों नागरिकों समेत घरों, स्कूलों और अस्पतालों की सुरक्षा करने की अपील की गई है।
बृहस्पतिवार को यह प्रस्ताव पांच के मुकाबले 140 मतों से पास हो गया। इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले पांच देशों में बेलारूस, सीरिया, उत्तर कोरिया और इरीट्रिया और रूस शामिल हैं।
प्रस्ताव रूस की आक्रामकता के ‘गंभीर मानवीय परिणामों’ की निंदा करता है। प्रस्ताव मे कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पिछले कई दशकों में इतना बड़ा मानवीय संकट यूरोप में नहीं देखा।
इसमें रूस की गोलाबारी, हवाई हमले और दक्षिणी शहर मारियुपोल सहित घनी आबादी वाले शहरों की ‘घेराबंदी’ की निंदा की गई है।
रूस ने कहा कि प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देश मानवीय स्थिति को लेकर चिंतित नहीं हैं, बल्कि वह सहायता का भी राजनीतिकरण करना चाहते हैं।इसके पहले एक रूसी प्रस्ताव पर मतदान के दौरान मास्को को हार का समाना करना पड़ा था। रूसी प्रस्ताव को स्वीकार किये जाने के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में से कम से कम नौ मत चाहिए थे और स्थायी सदस्यों में से किसी की तरफ से वीटो नहीं होना चाहिए।स्थीय सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस शामिल हैं। लेकिन रूस को केवल एक मत चीन का मिला, जबकि 13 अन्य सदस्य देश अनुपस्थित रहे।
अमेरिकी दावे को रूस ने किया खारिज
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वसीली नेबेंजिया ने वोट से पहले सुरक्षा परिषद को बताया था कि उसका प्रस्ताव ‘राजनीतिक नहीं है’, बल्कि सुरक्षा परिषद के अन्य मानवीय प्रस्तावों की तरह है. उन्होंने स्पष्ट रूप से उस अमेरिकी दावे को खारिज किया कि रूस को इस तरह का प्रस्ताव पेश करने का कोई अधिकार नहीं था. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ने कहा कि रूस अपने क्रूर कृत्यों को छुपाने के लिए इस परिषद का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है.