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रूस-यूक्रेन युद्ध: आखिर यूक्रेन को क्यों नहीं हरा पा रहा रूस , 5 आसान पॉइंट्स में समझें

आज युद्ध के 34वें दिन भी यूक्रेन मजबूती के साथ रूस का सामना कर रहा है और फिलहाल जंग किसी अंजाम तक पहुंचती नजर नहीं आ रही है।

24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया। तब सभी का मानना था कि कुछ ही दिनों में यूक्रेन रूस के सामने घुटने टेक देगा। लेकिन आज युद्ध के 34वें दिन भी यूक्रेन मजबूती के साथ रूस का सामना कर रहा है और फिलहाल जंग किसी अंजाम तक पहुंचती नजर नहीं आ रही है। 
युद्ध के बढ़ते समय के साथ सुपर पावर माने जाने वाली रूस की सैन्य शक्ति और ताकत पर अब सवाल उठने लगे हैं। आइए 5 आसान पॉइंट्स में समझते हैं आखिर रूस अपने से 30 गुना छोटे देश यूक्रेन को जंग में अभी तक क्यों नहीं हरा पा रहा है।
Point 1. सैनिकों और हथियारों का बेहतर इस्तेमाल
रूस के मुकाबले यूक्रेन के पास सैनिक बल और हथियार दोनों की संख्या कम है लेकिन इसके बावजूद वो इनका इस्तेमाल बेहतर कर रहा हैं। दरअसल युद्ध के दौरान रूसी सैनिक और वाहन एक कतार में रहते हैं और धीमी गति से आगे बढ़ते हैं। वहीं दूसरी ओर, यूक्रेन के सैनिक छापामार तरीके से युद्ध लड़ते नजर आ रहे हैं। यानी वे हिट एंड रन की रणनीति अपना रहे हैं, जिसके तहत वो बहुत चुपके से एंटी टैंक मिसाइल को फायर करते हैं और रूस की जवाबी कार्रवाई से पहले ही निकल जाते हैं। यही कारण है कि यूक्रेन के सैनिकों ने अब तक रूस के 7 हजार सैनिकों को मार गिराया है।
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Point 2. यूक्रेन का मनोबल और रणनीति
युद्ध के बाद यूक्रेन के लोगों और सेना का मनोबल शीर्ष पर रहा हैं। वहां के लोग अपनी सरकार और राष्ट्रपति के साथ मजबूती से खड़े हैं। यहां तक की हजारों की संख्या में यूक्रेन के नागरिकों ने हथियार तक उठा लिए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूक्रेन सेना की वॉलिंटियर ब्रांच से करीब एक लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिक जुड़े हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने युद्ध के शुरुआत से ही रूस के सामने चट्टान की तरह डटे नजर आए हैं।
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Point 3. रूस की कमजोर योजना
यूक्रेन के खिलाफ रूस ने जंग का ऐलान तो कर दिया लेकिन उनके सामने अपनी योजनाओं में कमी बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया। एक्सपर्ट ने जानकारी दी कि युद्ध शुरू होने के बाद भी उनके सैनिकों को बताया नहीं गया था कि उन्हें आखिर कहां जाना है इसलिए पहला मौका मिलते ही वे सरेंडर कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जंग में अब तक रूस के 7000 से अधिक सैनिक मारे जा चुके हैं। अफगानिस्तान में सोवियत संघ के साथ लड़ाई में जितने सैनिक हुए थे यह उसकी आधा संख्या है।
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Point 4. रूस ने यूक्रेन को कमतर आंका
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध होने से पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने एक भाषण में कहा था कि यूक्रेन मूल रूप से सिर्फ एक कृतिम रूसी निर्माण है। पुतिन का मानना था कि वो आसानी से यह युद्ध कुछ घंटों या दिनों में जीत लेंगे। उन्हें इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि यूक्रेन की सेना उन्हें इतनी जबरदस्त टक्कर देगी। साथ ही उन्हें यह भी उम्मीद थी कि यूक्रेन में रहने वाले रूसी लोग उनका समर्थन करेंगे लेकिन उन्होंने भी रूसी हमले का पुरजोर विरोध किया।
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Point 5. अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का साथ
युद्ध में अमेरिका, नाटो और यूरोपीय देश यूक्रेन को सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन हथियारों और आर्थिक तौर पर मदद कर रहे हैं। अमेरिका यूक्रेन को 600 स्टिंगर मिसाइलें और 2600 जेवेलिन मिसाइलें दे चुका है। 17 मार्च को यूक्रेन को अमेरिका के लिए 800 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता को मंजूरी दी है। यूक्रेन को विश्व के 20 देश हत्यारों की सप्लाई कर रहे हैं।

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