रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध का आज सातवां दिन है और अभी भी दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर हमले कर रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल से बात की और युद्ध प्रभावित यूक्रेन में बिगड़ती स्थिति और मानवीय संकट पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने शत्रुता को समाप्त करने और बातचीत की वापसी के लिए भारत की अपील को दोहराया।
फ्रांस के राष्ट्रपति से भी की बात
पीएम ने ईयू अध्यक्ष से बातचीत के दौरान जोर देकर कहा कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है। उन्होंने लोगों की मुक्त और निर्बाध मानवीय पहुंच और सुचारु आवाजाही सुनिश्चित करने के महत्व पर भी जोर दिया। पीएम ने यूक्रेन को दवाओं सहित तत्काल राहत सामग्री भेजने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। ईयू अध्यक्ष के अलावा पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो से भी रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर बातचीत की।
रोमानिया के लिए रवाना हुआ वायु सेना का जहाज
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार शाम कहा कि इस बीच भारतीय वायुसेना का सी-17 परिवहन विमान यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए बुधवार सुबह चार बजे रोमानिया के लिए रवाना होगा। विमान दिल्ली के पास हिंडन एयर स्टेशन पर अपने बेस से उड़ान भरेगा। रूस की ओर से छेड़ा गया युद्ध यूक्रेन की राजधानी कीव और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव तक पहुंच गया है। इसके अलावा, भारतीय दूतावास सहित कीव में विभिन्न देशों के दूतावास तीव्र बमबारी के बीच लवीव में अपना राहत अभियान चला रहे हैं। अगले तीन दिनों में, आईएएफ की 26 उड़ानें संचालित होने वाली हैं।
कोई भी छात्र कीव में नहीं फंसा हुआ है : श्रृंगला
श्रृंगला ने कहा, बुधवार को सुबह चार बजे एक सी-17 विमान फंसे हुए भारतीय छात्रों को निकालने के लिए रोमानिया के लिए उड़ान भरेगा। यूक्रेन के घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए श्रृंगला ने कहा कि अब तक 12 हजार भारतीय यूक्रेन छोड़ चुके हैं, जो यूक्रेन में मौजूद कुल भारतीयों का लगभग 60 प्रतिशत है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि, कोई भी भारतीय अभी कीव में फंसा हुआ नहीं है। विदेश सचिव ने कहा कि भारतीय नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे यूक्रेन के पश्चिमी हिस्सों में जाएं और जब भी संभव हो, वहां से बाहर निकलें। वे हंगरी, स्लोवाकिया, रोमानिया, पोलैंड और मोल्दोवा की ओर जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन मार्गो से 7,700 नागरिक बाहर निकल चुके हैं।