रूस और अमरीका के बीच एक नया विवाद शुरू हो गया है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इस चांद पर जाने वाले रूस के प्रस्तावित मिशन का काम यह सत्यापित करना होगा कि क्या सच में अमरीकी अंतरिक्ष यात्री चांद पर गए हैं।
अमेरिका ने 1969 के जुलाई महीने में यह दावा किया था कि भले ही रूस ने अंतरिक्ष में अपना यान पहले भेजा हो लेकिन चांद की धरती पर पहली बार अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री उतरे थे। फिर लंबे समय के लिए इस बात पर बहस छिड़ गई कि क्या वास्तव में ऐसा हुआ है? दरअसल, नासा ने चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यान के लैंड करने की जो तस्वीरें सार्वजनिक की थी उन्हें नासा के विरोधियों ने कभी नहीं स्वीकारा।
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उसके बाद से लेकर आज तक नासा के उस मिशन पर सवालिया निशान लगाए जाते रहे हैं। अब रूस की रोस्कॉस्मोस स्पेस एजेंसी के प्रमुख ने इस सवाल का जवाब तलाशने की बात कही है। वे कहते हैं कि वे दुनिया को बताना चाहते हैं कि आखिर सच क्या था। क्या वाकई नासा का अंतरिक्ष यान लगभग 50 साल पहले चंद्रमा पर उतरा था या फिर नहीं?
रूस की रोस्कोसमोस अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि चांद पर जाने वाले रूस के प्रस्तावित मिशन का काम यह सत्यापित करना होगा कि क्या वास्तव में अमेरिकी चांद पर पहुंचे हैं।
दिमित्री रोगोजिन ने शनिवार को ट्वीटर पर पोस्ट किए एक वीडियो में कहा कि हमने यह सत्यापित करने के लिए एक उपकरण तैयार किया है कि वे (अमेरिकी) वहां गए भी थे या नहीं।
रोगोजिन उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि नासा करीब 50 साल पहले क्या वास्तव में चांद पर गया था या नहीं। रूस में नासा के चांद मिशनों को लेकर संदेह आम है।
सोवियत संघ ने 1970 के दशक के मध्य में अपने चंद्र कार्यक्रम को छोड़ दिया था क्योंकि चांद पर भेजे जाने वाले चार प्रयोगात्मक रॉकेटों में विस्फोट हो गया था।