नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने एक नाटकीय कदम में सोमवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के सदन को भंग करने का निर्णय को पलट दिया और इसे बहाल करने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया। साथ ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को विपक्षी नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया कि ओली की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग करने का राष्ट्रपति भंडारी का निर्णय ‘एक असंवैधानिक कार्य’ है। अदालत ने राष्ट्रपति को 24 मई को चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपना बहुमत पेश करने वाले देउबा को मंगलवार शाम तक नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का भी आदेश दिया। पीठ ने आगे 18 जुलाई को सदन का नया सत्र बुलाने का आदेश दिया।
प्रधानमंत्री ओली ने 21 मई को सदन को भंग कर दिया था और 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी। यह दूसरी बार है जब शीर्ष अदालत ने ओली के कार्यकाल में सदन को बहाल करने के पक्ष में फैसला दिया है। इससे पहले 20 दिसंबर, 2020 को ओली ने सदन को भंग कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट ने इसे 25 फरवरी, 2021 को बहाल कर दिया था।
ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूएमएल के अलावा प्रमुख राजनीतिक दलों ने सोमवार के फैसले का स्वागत किया है। 10 मई को विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने के बाद, प्रधानमंत्री ओली को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के अनुसार सदन में सबसे बड़ी पार्टी के संसदीय दल के नेता के रूप में उनकी क्षमता में फिर से नियुक्त किया गया था। हालांकि, ओली ने अनुच्छेद 76(4) के अनुसार सदन से विश्वास मत प्राप्त नहीं करने का विकल्प चुना और राष्ट्रपति भंडारी को अनुच्छेद 75 (5) के अनुसार एक नई सरकार की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश की।
राष्ट्रपति भंडारी ने 20 मई को सदन के सदस्यों से शाम 5 बजे तक नई सरकार के लिए अपना दावा पेश करने को कहा।देउबा और ओली ने प्रधानमंत्री पद का दावा पेश किया। देउबा ने 146 सांसदों के समर्थन का दावा किया, जबकि ओली ने कहा कि उनके पास 153 सांसदों का समर्थन है।
हालांकि, राष्ट्रपति भंडारी ने दोनों दावों को खारिज कर दिया और मंत्रिपरिषद की बैठक की सिफारिश के अनुसार 22 मई को सदन को भंग कर दिया। विघटन के बाद, सदन की बहाली और देउबा को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए दो दर्जन से अधिक रिट याचिकाएं दायर की गईं।