भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे की सरकार ने सुरक्षा कारणों के चलते फैसला लिया है कि, यदि विदेशी लोग स्थानीय लोगों से शादी करते है तो उन्हें पहले रक्षा मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष और कई नागरिक समूहों ने इस कदम की आलोचना की है। यह नया कानून एक जनवरी 2022 से अमल में आएगा। रजिस्ट्रार जनरल डब्ल्यू एम एम बी वीर सिकेरा ने 18 अक्टूबर की तारीख वाले एक परिपत्र में कहा कि, राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय किया गया है।
विपक्ष ने भेदभाव का लगाया आरोप
सरकार द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, संबंधित अधिकारियों ने विदेशियों और श्रीलंकाई लोगों के बीच विवाह से उत्पन्न हो सकने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की। इसमें कहा गया है कि, विदेशी व्यक्ति को सुरक्षा संबंधी अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही अतिरिक्त जिला पंजीयक के माध्यम से ऐसे विवाहों को पंजीकृत करने का निर्णय किया गया है। विपक्षी दल के सांसद हर्षा डी सिल्वा ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा, यह किस तरह का भेदभाव है?’’
सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम महत्तवपूर्ण है : अधिकारी
नागरिक संगठनों से जुड़े कई लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इस कदम पर सवाल उठाए। परिपत्र में कहा गया कि, सुरक्षा संबंधी अनापत्ति पत्र यह प्रमाणित करेगा कि विदेशी व्यक्ति पिछले छह महीनों के दौरान किसी भी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि, यह कदम काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को विदेशियों द्वारा शादी करके ठगे जाने से रोकने और ऐसी शादियों के जरिए बढ़ती मादक पदार्थों की तस्करी पर लगाम कसने में मदद मिलेगी।