श्रीलंका में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट गहराने के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह श्रीलंका की सहायता करने में सबसे आगे रहा है और पड़ोसी देश को मदद करना जारी रखेगा।
विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को गंभीर आर्थिक संकट
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा ताकि वे लोकतांत्रिक माध्यमों एवं मूल्यों तथा स्थापित संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे के तहत समृद्धि, प्रगति की अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें। विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अनुभवी नेता रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को, गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने संसद भवन परिसर में 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। उनके सामने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने तथा महीनों से चल रहे व्यापक प्रदर्शनों के बाद कानून एवं व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है।
भारत में केंद्र सरकार ने श्रीलंका की स्थिति पर चर्चा के लिये
गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और बाद में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि हमने श्रीलंका को जरूरत के समय सबसे अधिक सहायता दी और हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे ।एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वहां (श्रीलंका में) नये राष्ट्रपति बने हैं, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बात की जा रही है और हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए । उन्होंने कहा कि हमने मदद पहुंचायी है, इसके कुछ हिस्से का उपयोग हुआ है और कुछ अभी शेष है।ज्ञात हो कि भारत में केंद्र सरकार ने श्रीलंका की स्थिति पर चर्चा के लिये मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि श्रीलंका ‘‘बहुत गंभीर संकट’’ का सामना कर रहा है और उससे वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और ‘‘ मुफ्त की संस्कृति’’ से दूर रहने का सबक लेना चाहिए ।विदेश मंत्री ने बैठक के बाद कहा था, ‘‘ गेंद श्रीलंका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पाले में है और वे चर्चा कर रहे हैं। उन्हें समझौते पर पहुंचने की जरूरत है, तब हम (भारत) देखेंगे कि हम क्या सहायक भूमिका निभा सकते हैं।’’