ईरान में हिजाब के कारण अमीनी की मौत हो जाती है जिसके बाद उसके अंतिम संस्कार के बाद पहला प्रदर्शन ईरान के पश्चिमी शहर सक्कज़ में हुआ। यहां महिलाओं ने अमीनी की मौत का विरोध करते हुए अपने सिर पर बंधे स्कार्फ फाड़ डाले.
इसके बाद ईरान में लोगों का विरोध बढ़ता ही जा रही है। अब लोग ज्यादा आज़ादी की मांग से लेकर सरकार को उखाड़ फेंकने के नारे लगा रहे हैं। विरोध इतना बढ़ गया है कि लोग ईरान में सत्ता परिवर्तन के लिए मुखर होते दिख रहे हैं, और इन सब के बीच तालिबान के शरणार्थियों के डिप्टी मिनिस्टर अब्दुल रहमान राशिद ने अफगान शरणार्थियों से ईरान और पाकिस्तान में आयोजित प्रदर्शनों में भाग लेने से बचने का आग्रह किया है। खामा प्रेस ने बताया कि तालिबान प्रतिनिधि ने 23 नवंबर को जारी एक वीडियो संदेश में कहा कि “प्रदर्शन उनके (ईरान और पाकिस्तान के) घरेलू मामले हैं, उनके लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, अपना जीवन बर्बाद न करें।
अब्दुल रहमान राशिद का बयान
अब्दुल रहमान राशिद ने कहा कि ये विरोध संबंधित देशों के आंतरिक मुद्दे हैं और अफगान नागरिकों को इनमें भाग नहीं लेना चाहिए। बता दें कि अफगान शरणार्थियों के लिए तालिबान का आह्वान उस समय आया है जब ईरानी नागरिक पूरे ईरान में कई हफ्तों से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ईरान में प्रदर्शन महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए थे।
40 विदेशी नागरिकों गिरफ्तार
अमिनी की मौत से छिड़ा ये व्यापक विरोध, 1979 की क्रांति के बाद ईरानी सरकार और नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। हालांकि, अब तक ईरानी सरकार ने प्रदर्शनों में अफगान प्रवासियों के शामिल होने की बात नहीं कही है। मंगलवार को ईरान की न्यायपालिका ने घोषणा की कि ईरान की सरकार ने देश के हालिया विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में 40 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, न्यायपालिका ने गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी है।
ईरान में अफगानी शरणार्थी की संख्या
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (UNHCR) के आंकड़ों के अनुसार, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने से पहले, 3।4 मिलियन अफगान अप्रवासी – उनमें से लगभग 20 लाख बिना दस्तावेज वाले – ईरान में रहते थे। हालांकि, यूएनएचसीआर ने कहा कि पिछले साल अगस्त के बाद जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया तो सैकड़ों हजारों अफगान ईरान भाग गए।
पाकिस्तान में भी ईरान जैसे हालात पनपे
इस बीच, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अपदस्थ किए जाने के बाद राजनीतिक अस्थिरता के कारण पाकिस्तान भी उथल-पुथल में है। खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उनके समर्थकों ने भी ईरान की तरह ही विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री को 6 नवंबर को मारने की कोशिश की गई थी। फायरिंग में बचने के बाद जब इमरान खान ठीक हुए तो उन्होंने दोबारा से विरोध मार्च को शुरू करने का फैसला लिया।
बता दें कि यूएन इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) का अनुमान है कि अब 1।3 मिलियन अफगान अप्रवासी पाकिस्तान में कानूनी रूप से रह रहे हैं। खामा प्रेस ने बताया कि यह भी माना जाता है कि सैकड़ों हजारों अफगान अप्रवासी भी वहां अनियमित रूप से रह रहे हैं।