श्रीलंका में आर्थिक हालात और भी खराब होते जा रहे है जिसकों लेकर नई सरकार काफी चिंतित हैं।इस देश में कई महीनों से जनता अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरसने लगे हैं। हालांकि, लोगों का सरकार के प्रति आक्रोश फूट पड़ा था और उन्होने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का इस्तीफा मांग था और कुछ दिन बाद ही राजपक्षे ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौप दिया था। देश की मुद्रा नीति कमजोर होने के साथ ही अब महंगाई अपने चरम शिखर पर पहुंच चुकी हैं। श्रीलंका में फल, सब्जी, और अवश्यकता अनुसार सारी वस्तुएं सभी महंगे हो चुके हैं। देश में इमरजेंसी लागू करने के बाद भी देश की हालात सुधर नहीं रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खाने बनाने में प्रयोग होने वाले सिलेंडर में भारी उछाल देखने को मिला हैं। इस रसोई गैस के लिए लोगों को घंण्टों भर लाइन में लगना पड़ रहा हैं।
लोगों का महंगाई के चलते सरकार पर फूटा गुस्सा
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक श्रीलंका की आम जनता को रसोई गैस सिलेंडर के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। इस संघर्ष भरे समय में लोगों को बहुत ही मुश्किल से गैस सिलेंडर मिल पा रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि लोग गैस सिलेंडर के इंतजार में सड़कों पर घंटों लाइन में लगे रहते हैं उसके बाद भी उन्हें रसोई गैस सिलेंडर नसीब नहीं हो पा रहा है। हालांकि, आम जनता ने अपनी दुरर्दशा बताते हुए कहा अब तो ईश्वर ही जाने इस संकट से कब निकल पाएंगे और पहले वाली सामान्य स्थिति हमारे जीवन में कब आएगी।
तेल की कीमते में हो रहा है भारी उछाल
जानकारी के मुताबिक पिछले 5 दिनों से पेट्रोल नहीं मिल रहा है जिसकें चलते कमाई भी एकदम खत्म हो गई है दिन में जो पहले करीब ₹4000 कमा लेते थे अब कब आए मुश्किल से एक हजार रह गई है।गौरतलब है कि अगर पेट्रोल नहीं मिलेगा तो क्या करेंगे घर में बैठेंगे लेकिन सवाल यह कि हमारे परिवार और बच्चों को कौन पालेगा। अब से दो-तीन महीने पहले पेट्रोल की कीमत ₹150 प्रति लीटर थी जो अब बढ़कर ₹338 प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है।
मदद के लिए लगाई गई गुहार
श्रीलंका के जिन मेडिकल संगठनों ने विदेशी संस्थानों से मदद की गुहार लगाई है, उनमें बाल रोग विशेषज्ञों और आईसीयू एवं बेहोशी विशेषज्ञों (एनेसथेसियोलॉजिस्ट्स) के संगठन शामिल हैँ। श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन भी ऐसी अपील कर चुका है। द लान्सेंट की रिपोर्ट के मुताबिक इलाज से संबंधित कई उपकरणों को कीटाणु-मुक्त करके डॉक्टर बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि आम तौर पर उनका एक ही बार इस्तेमाल होता है।