अफगानिस्तान में बढ़ते मानवीय संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को पांच अरब डॉलर की मदद मुहैया कराने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र ने इसके साथ ही चेतावनी दी कि दशकों तक संघर्ष से जूझने और अगस्त महीने में तालिबान के कब्जे में जाने के बाद भले ही अफगानिस्तान स्थिर नजर आ रहा है, तो भी वहां की आधी आबादी गंभीर भूख का सामना कर रही है,लाखों बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं और किसान सूखे का सामना कर रहे हैं। यह अपील संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) और शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर द्वारा की गई है जो प्रतिबिंबित करता है कि विश्व निकाय देश के आम लोगों की मदद करना चाहता है जिसपर एक चरमपंथी समूह का शासन है जिससे पश्चिमी दानकर्ता देश लड़ते रहे थे और अब भी विरोध करते हैं।
मदद नहीं की तो 10 लाख बच्चें होंगे कुपोषण के शिकार
ओसीएचए ने अफगानिस्तान में आने वाली तबाही की चेतावनी देते हुए कहा कि 2.3 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है जो देश की आधी से अधिक आबादी है। संयुक्त राष्ट्र के निकाय ने कहा कि, यदि मदद नहीं की गई तो पांच साल से कम उम्र के करीब 10 लाख बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार होंगे। ओसीएचए के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ्थ ने कहा, हमें जहां परिवार रहते हैं वहां खाने पहुंचाने की जरूरत है। हमें उन किसानों तक बीज मुहैया कराने की जरूरत है जहां पर वे खेती करते हैं। हमें पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा के लिए क्लीनिक की जरूरत है, हमें उन लोगों के लिए सुरक्षा सेवा चाहिए जो घर लौटना चाहते हैं।
लोग लौट रहे हैं क्योंकि परिस्थिति अधिक सुरक्षित है
संयुक्त राष्ट्र ने अपील में 4.4 अरब डॉलर ओसीएचए और उसके साझेदारों को मुहैया कराने और बाकी 62.3 करोड़ डॉलर विदेश भागे करीब 60 लाख अफगान शरणार्थियों की मदद के लिए शरणार्थी एजेंसी को मुहैया कराने की अपील की गई है।
यूएनएचसीआर ने रेखांकित किया है कि, तालिबान के सत्ता में आने के बाद करीब 1.75 लाख वापस लौटे हैं। एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने कहा, वस्तविकता है कि लोग लौट रहे हैं क्योंकि परिस्थिति अधिक सुरक्षित है।