उत्तर कोरिया द्वारा अपनी सबसे बड़ी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने के बाद अमेरिका ने कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इसके खिलाफ प्रतिबंधों की मांग करेगा। वहीं, उत्तर कोरिया के नेता ‘किम जोंग उन’ ने अमेरिका के साथ स्थायी टकराव की स्थिति में अपने देश की परमाणु युद्ध से बचाव की क्षमता का विस्तार करने की तैयारी का संकल्प जताया है। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने 2017 के बाद से देश के पहली लंबी दूरी के मिसाइल के परीक्षण की सूचना दी और दक्षिण कोरिया तथा जापान ने कहा कि, उन्हें भी इस मिसाइल परीक्षण का पता चला।
वर्ष 2006 में भी लगाए गए थे प्रतिबंध
नॉर्थ कोरिया द्वारा गुरुवार को किए गए प्रक्षेपण से इस साल हथियारों के प्रदर्शनों का आंकड़ा बढ़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि इसका उद्देश्य अमेरिका को उत्तर कोरिया को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकार करने और अपनी बदहाल अर्थव्यवस्था के खिलाफ लगे गंभीर प्रतिबंधों को हटाने के लिए मजबूर करना है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुक्रवार को अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को अद्यतन और सख्त करने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव रखेगा जो मूल रूप से 2006 में उत्तर कोरिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद लगाए गए थे और बाद के वर्षों में उन्हें और कड़ा किया गया था।
सर्वसम्मति से निंदा करने का किया अनुरोध
अमेरिकी राजदूत ने हालांकि, यह नहीं बताया कि ये कदम किस प्रकार के होंगे। लेकिन उन्होंने सुरक्षा परिषद से उत्तर कोरिया द्वारा बिना उकसावे के लगातार अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम में वृद्धि करने के खिलाफ सर्वसम्मति से निंदा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि इस उम्मीद से चुप रहना कि उत्तर कोरिया संयम दिखाएगा, एक नाकाम रणनीति होगी। उत्तर कोरिया की आर्थिक परेशानियों पर जोर देते हुए वीटो का इस्तेमाल करने वाले चीन और रूस ने अपने पड़ोसी के खिलाफ सुरक्षा परिषद के विभिन्न प्रतिबंधों को कम करने का आह्वान किया है।
प्रतिबंध केवल उत्तर कोरिया के लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे : रूस
रूस की उप राजदूत अन्ना एविस्तिग्नेवा ने शुक्रवार को कहा कि आगे के प्रतिबंध केवल उत्तर कोरिया के लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे, जबकि चीन के राजदूत झांग जून ने परिषद से उत्तर कोरिया की उचित सुरक्षा चिंताओं को कैसे समायोजित किया जाए, इस पर विचार करने का आग्रह किया। दोनों ने सुझाव दिया कि, लंबी दूरी की मिसाइल और परमाणु परीक्षणों पर उत्तर कोरिया द्वारा 2018 में आत्मनियम के जवाब में अमेरिका में कुछ नहीं किया।
वर्ष 2006 में भी लगाए गए थे प्रतिबंध
नॉर्थ कोरिया द्वारा गुरुवार को किए गए प्रक्षेपण से इस साल हथियारों के प्रदर्शनों का आंकड़ा बढ़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि इसका उद्देश्य अमेरिका को उत्तर कोरिया को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकार करने और अपनी बदहाल अर्थव्यवस्था के खिलाफ लगे गंभीर प्रतिबंधों को हटाने के लिए मजबूर करना है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुक्रवार को अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को अद्यतन और सख्त करने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव रखेगा जो मूल रूप से 2006 में उत्तर कोरिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद लगाए गए थे और बाद के वर्षों में उन्हें और कड़ा किया गया था।
सर्वसम्मति से निंदा करने का किया अनुरोध
अमेरिकी राजदूत ने हालांकि, यह नहीं बताया कि ये कदम किस प्रकार के होंगे। लेकिन उन्होंने सुरक्षा परिषद से उत्तर कोरिया द्वारा बिना उकसावे के लगातार अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम में वृद्धि करने के खिलाफ सर्वसम्मति से निंदा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि इस उम्मीद से चुप रहना कि उत्तर कोरिया संयम दिखाएगा, एक नाकाम रणनीति होगी। उत्तर कोरिया की आर्थिक परेशानियों पर जोर देते हुए वीटो का इस्तेमाल करने वाले चीन और रूस ने अपने पड़ोसी के खिलाफ सुरक्षा परिषद के विभिन्न प्रतिबंधों को कम करने का आह्वान किया है।
प्रतिबंध केवल उत्तर कोरिया के लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे : रूस
रूस की उप राजदूत अन्ना एविस्तिग्नेवा ने शुक्रवार को कहा कि आगे के प्रतिबंध केवल उत्तर कोरिया के लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे, जबकि चीन के राजदूत झांग जून ने परिषद से उत्तर कोरिया की उचित सुरक्षा चिंताओं को कैसे समायोजित किया जाए, इस पर विचार करने का आग्रह किया। दोनों ने सुझाव दिया कि, लंबी दूरी की मिसाइल और परमाणु परीक्षणों पर उत्तर कोरिया द्वारा 2018 में आत्मनियम के जवाब में अमेरिका में कुछ नहीं किया।