अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉन कॉर्निन ने हाल ही में बयान दिया है कि, भारत रूस पर अपनी सैन्य निर्भरता कम कर रहा है और उसके लिए कुछ महत्तवपुर्ण कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा, हमें पता है कि भारत एक जिम्मेदार देश है। अमेरिका के संदर्भ में दोनों देशों के बीच कई समानताएं है। उनके बीच न केवल आर्थिक लाभ हैं बल्कि सैन्य तथा सुरक्षा सहयोग भी हैं।
S-400 मिसाइल खरीद में भारत को ‘सीएएटीएसए’ में छूट देने की अपील की
सीनेटर ने अपने बयान से एक दिन पहले ही डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर मार्क वार्नर के साथ राष्ट्रपति जो बाइडन से सतह से हवा में मार करने वाली रूसी एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए भारत के खिलाफ ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) के प्रावधानों को लागू नहीं करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, यह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हित में है। सीनेटरों ने पत्र में लिखा, “हम आपसे सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 ट्रिअम्फ मिसाइल प्रणाली की योजनाबद्ध खरीद के मामले में भारत को ‘सीएएटीएसए’ में छूट देने की अपील करते हैं।
क्या है? अमेरिका का सीएएटीएसए कानून
अमेरिका का ‘काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) कानून अमेरिका में राष्ट्रपति को ऐसे मामलों में प्रतिबंधों को लागू करने में अतिरिक्त विवेक का इस्तेमाल करने का अधिकार देता है, जिनमें छूट देने से अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को बढ़ावा मिलता हो। आपको बतादें की ‘सीएएटीएसए’ एक सख्त अमेरिकी कानून है जो प्रशासन को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत करता है जो 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित हस्तक्षेप के बाद भी रूस से प्रमुख रक्षा हार्डवेयर खरीदते हैं।
अमेरिका की सख्त चेतावनी के बाद भी भारत ने खरीदा S-400
भारत ने S-400 मिसाइल को खरीदने के लिेए अक्टूबर 2018 में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार कर रूस से वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 की पांच यूनिट खरीदने के लिये पांच अरब डॉलर के करार पर हस्ताक्षर किये थे। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर ‘सीएएटीएसए’ के तहत पाबंदी लगाने की चेतावनी दी थी।