भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने मंगलवार को भारत में प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के हाई कोर्ट में मुकदमा हारने पर अपनी निराशा जताते हुए कहा कि अपने वकीलों की सलाह के अनुसार मैं कानूनी उपाए जारी रखूंगा। माल्या ने एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय बैंकों को बकाया ऋण राशि का भुगतान करने की पेशकश की है, लेकिन उस प्रस्ताव को बैंकों ने खारिज कर दिया है।
मुकदमा हरने के बाद माल्या ने सोमवार शाम को एक बयान में कहा, ‘‘मैं स्वाभाविक रूप से हाई कोर्ट के फैसले से निराश हूं। मैं अपने वकीलों की सलाह के अनुसार आगे भी कानूनी उपाए जारी रखूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने बार-बार बैंकों को पूरी राशि चुकाने की पेशकश की है, लेकिन दुख की बात है कि कोई फायदा नहीं हुआ।’’
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हाई कोर्ट में माल्या की अपील खारिज होने के बाद अब उनके पास ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 14 दिन का समय हैं। माल्या ने चूंकि आगे कानूनी उपायों की तलाश के संकेत दिए हैं, इसलिए ब्रिटेन का गृह विभाग माल्या के भारत को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शूरू करने से पहले उस अपील के परिणाम का इंतजार करेगा।
माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में हैं और अप्रैल 2017 से प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तारी के बाद जमानत पर हैं। माल्या ने अपने बारे में ‘‘मीडिया में कही जा रही बातों’’ पर भी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मीडिया में कही जा रही बातों से भी निराश हूं, जिसके मुताबिक मुझे 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए भारत में मुकदमे का सामना करना चाहिए।
कृपया ध्यान दें कि मेरे और अन्य के खिलाफ आरोप केवल 2009 में आईडीबीआई बैंक से कुल 900 करोड़ रुपये के उधार की तीन किस्तों से संबंधित हैं।’’ माल्या ने इस बारे में लंदन हाई कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया। माल्या ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि निचली अदालत ने गलत तरीके से उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी जबकि साजिश के तहत उनके खिलाफ धोखाधड़ी और धनशोधन का मामला दर्ज किया गया।
हालांकि, हाई कोर्ट ने माल्या के तर्कों को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि माल्या ने इस साल फरवरी में सुनवाई के दौरान भारत प्रत्यर्पित किए जाने के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिजाबेथ लांग की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में माल्या की अपील खारिज कर दी।