चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में भाग लेने के लिए बिश्केक रवाना हो गए । सम्मेलन के इतर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। आम चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद दोनों नेताओं की यह पहली बैठक है। एससीओ का 19वां सम्मेलन किर्गिस्तान के बिश्केक में 13 से 14 जून तक चलेगा। एससीओ, चीन के नेतृत्व वाला आठ सदस्यीय आर्थिक और सुरक्षा समूह है जिसमें भारत और पाकिस्तान को 2017 में शामिल किया गया था।
सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति शी किर्गिस्तान के लिए रवाना हो गये जहां वह एससीओ के सम्मेलन में भाग लेंगे। एससीओ सम्मेलन पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोबारा सत्ता संभालने के बाद भाग लेंगे। वह सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति शी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से मुलाकात करेंगे। मोदी ने एससीओ को महत्व देते हुए इसके अध्यक्ष राष्ट्र किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव को बिम्सटेक के अन्य नेताओं तथा मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के साथ पिछले महीने अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया था। यह एससीओ का पहला सम्मेलन है जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भाग ले रहे हैं। चीन सम्मेलन से इतर शी और मोदी की मुलाकात को लेकर अपनी अपेक्षाएं प्रकट कर चुका है।
चीन के उप विदेश मंत्री झांग हान्हुई ने मोदी-शी की मुलाकात पर एक सवाल का जवाब देते हुए इस महीने की शुरूआत में यहां कहा था, ‘‘राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी अच्छे दोस्त हैं। उनकी पिछले साल वुहान में बहुत सफल अनौपचारिक मुलाकात हुई थी।’’ अनौपचारिक वुहान वार्ता ने भारत और चीन को उस तनाव को कम करने में मदद की थी जो भारत-चीन-भूटान सीमा पर 2017 में डोकलाम के गतिरोध के दौरान पैदा हुआ था। वुहान वार्ता के बाद दोनों देशों ने सैन्य संबंधों समेत विभिन्न क्षेत्रों में रिश्तों को सुधारने के प्रयास तेज किये। इस साल की शुरूआत में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने घोषणा की थी कि राष्ट्रपति शी इस साल के आखिर में दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए भारत जाएंगे।
अधिकारियों के मुताबिक बिश्केक में मोदी के साथ शी की मुलाकात के दौरान चीन के राष्ट्रपति की यात्रा पर बातचीत हो सकती है। दोनों नेता संबंधों को खासकर व्यापार और निवेश में नयी रफ्तार दे सकते हैं। चीन ने यह संकेत भी दिया है कि राष्ट्रपति शी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार संरक्षणवाद और एकपक्षीयता की नीतियों के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की जरूरत पर जोर दे सकते हैं। अमेरिका और चीन के बीच पिछले करीब एक साल से व्यापार को लेकर विवाद चल रहा है।