पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिका और उसके सहयोगियों की निरंतर वापसी के बाद तालिबान की कार्रवाइयों के लिए उसके देश को ‘जिम्मेदार’ नहीं ठहराया जा सकता है। खान ने अफगानी मीडिया प्रतिनिधियों की टिप्पणियों में कहा, ‘‘ तालिबान जो कर रहा है या नहीं कर रहा है, उसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है। हम जिम्मेदार नहीं हैं और न ही तालिबान के प्रवक्ता हैं।’’
खान ने अफगानिस्तान की घटनाओं से पाकिस्तान को दूर करते हुए कहा,‘‘ हम केवल अफगानिस्तान में शांति चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि अफ़गानों के पास एक विकल्प था या तो अमेरिका समर्थित सैन्य समाधान का अनुसरण करें या एक राजनीतिक समझौता करें, जहाँ एक समावेशी सरकार हो।
खान ने कहा, ‘‘ पाकिस्तान में 30 लाख अफगान शरणार्थी हैं, उनमें से लगभग सभी पश्तून हैं और अधिकांश की तालिबान के साथ सहानुभूति होगी। पाकिस्तान यह कैसे पता करेगा कि वहां कौन लड़ने जा रहा है जब हमारे पास हर दिन लगभग 30,000 लोग अफगानिस्तान से आते हैं। पाकिस्तान इसकी जानकारी कैसे कर सकता है?’’ उन्होंने कहा,‘‘ पाकिस्तान में हमारे पास 30 लाख शरणार्थी हैं। पाकिस्तान को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? इन शिविरों में 100,000 से 500,000 लोग रह रहे हैं।’’ खान ने कहा कि पाकिस्तान के लिए शरणार्थी शिविरों के माध्यम से यह पता लगाना संभव नहीं है कि कौन तालिबान समर्थक है और कौन नहीं, उन्होंने कहा कि हाल तक दोनों देशों के बीच कोई भौतिक सीमा नहीं थी।
उन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2640 किलोमीटर लंबी सीमा का जिक्र करते हुए कहा,‘‘ डूरंड रेखा काल्पनिक थी। पाकिस्तान ने सीमा पर बाड़ लगाने का 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। ’’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ना पाकिस्तान के हित में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए किसी का समर्थन करने में पाकिस्तान की क्या दिलचस्पी हो सकती है?