भारत और पाकिस्तान के बीच आजादी के बाद से ही कश्मीर का मुद्दा एक खास महत्व रखता है। पाकिस्तान दुनियाभर में इस मसले के हल का रोना रोता आया है और कश्मीर में आतंकवाद के जरिये अस्थिरता फैलाये रखना वहां की हर सरकार की प्राथमिकता रही है। पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान भी कश्मीर मसले को हर मौके पर उठाते रहे है और भारत को कई बार खोखली धमकी भी दे चुके है। अब एक बार फिर इमरान खान ने कश्मीर मसले पर बयानबाजी की है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अगर एक बार कश्मीर समस्या हल हो जाती है तो परमाणु प्रतिरोधक क्षमता की कोई आवश्यकता नहीं होगी। समाचार पत्र द डान के मुताबिक इमरान खान ने एचबीओ के पत्रकार जोनाथन स्वॅन को दिए एक साक्षात्कार में कहा ‘‘ अगर कश्मीर मसले का हल हो जाता है तो दोनों पड़ोसी सभ्य लोगों की तरह रहेंगे और तब हमें परमाणु प्रतिरोधक क्षमता की आवश्यकता भी नहीं होगी।’’
उन्होंने हालांकि इस खुफिया रिपोर्ट को खारिज किया कि उनके देश के पास विश्व में सबसे तेजी से बढ़ रहे परमाणु हथियारों का जखीरा है। खान ने कहा‘‘ मुझे नहीं पता है कि उनके पास यह जानकारी कहां से आई है और पाकिस्तान के परमाणु हथियार मात्र एक प्रतिरोधक क्षमता के रूप में हैं जो केवल हमारी सुरक्षा के लिए हैं।”
इमरान खान ने आगे कहा, ‘जहां तक मेरी जानकारी है तो यह कोई बुरी बात नहीं है, खासकर जब आपको पता है कि आप का पड़ोसी कौन है और कोई भी देश जिसका पड़ोसी आकार में सात गुना बड़ा है, वह इस बात को लेकर तो चिंतित ही रहेगा।’’ यह पूछे जाने पर कि चीन के उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर पाकिस्तान आखिरकार क्यों आवाज नहीं उठाता है तो खान ने कहा कि चीन के साथ ऐसे सभी मसलों पर बंद दरवाजों के पीछे बातचीत हुई है। “
खान ने कहा‘‘ हमारे सबसे कठिन दौर में चीन हमारे सबसे अच्छे दोस्तों में से एक रहा है और जब हम वाकई संघर्ष कर रहे थे तो चीन हमारी मदद के लिए आगे आया। हम उसका सम्मान करते हैं और जो भी मसले सामने आए हैं हमने बंद दरवाजों के पीछे उनको लेकर बातचीत की है।’’
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिए बातचीत होने से हाल ही के महीनों में तनाव में काफी कमी आई है और हाल ही के एक घटनाक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए राजधानी दिल्ली में आमंत्रित किया है। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पहली बार वहां से सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई जा रही है।