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म्यांमा में सैन्य शासन के बाद हथियार बनाने की क्षमता बढ़ी, हथियार से लोगों को किया जा रहा प्रताड़ित

म्यांमा सैन्य शासन आने के बाद स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम 13 देशों की कंपनियों ने म्यांमा की हथियार बनाने की क्षमता निर्मित करने में मदद की है जिनका इस्तेमाल 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद लोगों पर जुल्म ढहाने में किया जा रहा है।

म्यांमा सैन्य शासन आने के बाद स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि कम से कम 13 देशों की कंपनियों ने म्यांमा की हथियार बनाने की क्षमता निर्मित करने में मदद की है जिनका इस्तेमाल 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद लोगों पर जुल्म ढहाने में किया जा रहा है।
रिपोर्ट  के अंदर क्या बताया गया है?
म्यांमा के लिए विशेष सलाहकार परिषद द्वारा सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे देश ने एक फरवरी 2021 को सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद हथियारों का उत्पादन बढ़ा दिया। सेना ने निर्वाचित सरकार का तख्तापलट किया था। इस तख्तापलट ने 50 साल के सैन्य शासन के बाद लोकतंत्र की ओर हुई प्रगति को प्रभावित किया। सुरक्षाबलों द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर बलपूर्वक कार्रवाई किए जाने के बाद सैन्य शासन के विरोधियों ने हथियार उठा लिए। संयुक्त राष्ट्र के कुछ विशेषज्ञों ने इस स्थिति को गृह युद्ध बताया है।असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ ने हिंसा में 2,700 से अधिक नागरिकों के मारे जाने की बात कही है जिनमें 277 बच्चे शामिल है जबकि 13,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। असल में यह संख्या कहीं अधिक बतायी जाती है।
रिपोर्ट में कंपनियों से क्या अपील की गई है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, यूरोप, एशिया और पश्चिम एशिया में कंपनियां सैन्य आपूर्ति श्रृंखला का समर्थन कर रही है। रिपोर्ट में इन कंपनियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि वे मानवाधिकार उल्लंघनों में शामिल न हों। देश में शस्त्र कारोबार में यह वृद्धि ऐसे वक्त में हुई है जब कुछ देशों ने हथियारों के धंधे या निर्माण में शामिल कुछ लोगों तथा कंपनियों के खिलाफ शस्त्र प्रतिबंध लगाए हैं।
अमेरिकी ने किसपर लगाया प्रतिबंध?
अक्टूबर में अमेरिकी वित्त विभाग ने सेना की तरफ से हथियार सौदे करने वाले कारोबारी आंग मो मिंत के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। उसके भाई हेइंग मो मिंत तथा उनकी कंपनी डायनेस्टी इंटरनेशनल कंपनी लिमिटेड को भी निशाना बनाया गया। नवंबर में अमेरिका ने नागरिकों पर जानलेवा हवाई हमलों का हवाला देते हुए सेना को विमान की आपूर्ति करने वालों पर प्रतिबंध लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमा में कोई निजी शस्त्र निर्माता नहीं है इसलिए ऐसी कोई भी कंपनी रक्षा मंत्रालय तथा रक्षा उद्योग निदेशालय द्वारा चलायी जाती है।
मानवाधिकार वकील ने किसको ठहराया जवाबदेह
एक मानवाधिकार वकील सिदोती ने कहा, म्यांमा के लोगों की पीड़ा से लाभ कमाने वाली विदेशी कंपनियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमा के हथियार निर्माण में असॉल्ट राइफल और मशीन गन से लेकर मार्टार, टैंक और विमान रोधी हथियार, मिसाइल, मिसाइल लॉन्चर, तोप और वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं। इसमें कुछ लोगों के हवाले से कहा गया है कि म्यांमा में जमीन तथा समुद्र में बिछाई जाने वाली बारुदी सुरंगें भी बनायी जाती हैं।

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