कोरोना वायरस महामारी और उसकी वैक्सीन को लेकर पूरे विश्व में कई तरह के सवाल और कई तरह की अवधारणाएं फैली हुई है। इन सवालों में से सबसे चर्चित सवाल है अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है तो क्या कोविड-19 का टीका उस पर प्रभावी होगा? संभवत: उतना नहीं जितना किसी सेहतमंद इंसान पर होगा लेकिन कोरोना रोधी टीके कुछ हद तक सुरक्षा तो प्रदान करते ही हैं। इसी लिए बीमारी या कुछ दवाओं के चलते कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों को भी टीका लगवाने की सलाह दी जाती है।
यह आवश्यक है कि आपका परिवार, दोस्त और देखभालकर्ताओं को टीका लगा हो जो उनके माध्यम से वायरस का प्रसार होने की आशंका को कम करता है। करीब 3 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है। इनमें एचआईवी या एड्स से ग्रसित लोग, ऐसे लोग जिनमें किसी प्रकार का प्रतिरोपण किया गया हो, कैंसर के कुछ मरीज और रयूमेटोइड अर्थराइटिस (गठिया), आंतों में सूजन की बीमारी और ल्यूपस जैसे स्व-प्रतिरक्षित विकार वाले लोग शामिल हैं।
कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले बहुत लोगों में कोविड-19 टीकाकरण का अध्ययन नहीं किया गया है। लेकिन सीमित आंकड़े एवं फ्लू और निमोनिया के टीकों के साथ जुड़े अनुभव दर्शाते हैं कि ये टीके ऐसे लोगों में स्वस्थ लोगों की तुलना में कम प्रभावी होते हैं। इसका अर्थ है कि कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को मास्क पहनने और भीड़-भाड़ में जाने से बचने जैसे एहतियात बरतने चाहिए।
सिएटल में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के प्रतिरोपण विशेषज्ञ ड़ॉ अजित लिमाय ने कहा, “यह आवश्यक है कि आप टीका लगाने से पहले जो एहितायत बरत रहे थे वही बाद में भी बरतें।” नेशनल कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर नेटवर्क के निर्देशों के मुताबिक लगभग सभी कैंसर मरीजों को जल्द से जल्द टीका लगवा लेना चाहिए लेकिन स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या सीएआर टी-सेल थेरेपी कराने वालों को इलाज के कम से कम तीन महीने बाद ही टीका लगवाना चाहिए। इस देरी से उन पर टीके का असर होने की संभावना ज्यादा होगी। फ्रेंच दिशा-निर्देश अंग प्रतिरोपण कराने वालों तथा कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वालों को कोविड-19 की तीसरी खुराक देने की अनुशंसा करते हैं।