रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध का आज 18वां दिन है और रूसी सेना कई शहरों में प्रवेश कर गई है। इस बीच यूक्रेन ने रूसी बलों पर युद्ध में जान बचाती हुई भाग रही महिलाओं और बच्चों पर फायरिंग करने का आरोप लगाया है। इस हमले में इस बच्चे समेत सात लोगों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने कहा कि, यह काफिला रूस के साथ ‘ग्रीन कॉरिडोर’ से होकर नहीं जा रहा था। हालांकि यूक्रेन की ओर से पहले कहा गया था कि ये लोग इसी कॉरिडोर पर यात्रा कर रहे थे। इसके अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शनिवार को कहा कि रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से लड़ाई में लगभग 1,300 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि, यदि रूस को यूक्रेन को हराना है तो उन्हें कीव पर कब्जा करना होगा।
फ्रांस और जर्मन चांसलर ने पुतिन से की बातचीत
इस युद्ध को रोकने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रों और स्कोल्ज ने यूक्रेन में संघर्ष के लिए तत्काल युद्धविराम और एक राजनयिक समाधान का आग्रह किया। जर्मन सरकार ने एक बयान में कहा, संघर्ष को समाप्त करने के लिए चल रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के हिस्से के रूप में 75 मिनट की बातचीत महात्वपूर्ण रही। क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन ने पिछले दिनों रूसी और यूक्रेन प्रतिनिधियों द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई वार्ता की श्रृंखला का विस्तृत विवरण दिया। तीनों नेताओं ने पहले की रूसी मांगों के कार्यान्वयन से संबंधित समझौतों से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की। क्रेमलिन ने कहा कि तीनों नेता यूक्रेन के मुद्दों पर संपर्क जारी रखने पर सहमत हुए।
इजराइल के प्रधानमंत्री ने जेलेंस्की से की बात
इजरायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने भी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से रूस- यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा की है। इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह जानकारी दी है। पीएमओ ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच शनिवार शाम को फोन पर हुई बातचीत एक घंटे से अधिक समय तक चली। इस दौरान दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के तरीकों और इस संबंध में इजरायल के प्रयासों पर चर्चा की। इस बीच जेलेंस्की ने दावा किया कि यूक्रेन में शनिवार को घोषित सभी मानवीय गलियारों में आवाजाही हुई और हजारों लोग उनका लाभ उठाकर सुरक्षित स्थानों पर जाने में सक्षम हुए।