नई दिल्ली : जिन लोगों की आंखों की ज्योति चली गई है उनके लिए आशा की एक नई किरण जगी है। शोधकर्ताओं ने पहली बार बेहद नरम ऊतकों से कृत्रिम रेटिना बनाया है जिसकी मदद से वे लोग भी कुदरत की बनाई हसीन दुनिया को देख सकेंगे जिनकी आंखों की रोशनी चली गई है। यह पहली बार हुआ है जब प्रयोगशाला में जैविक कृत्रिम ऊतकों का सफल इस्तेमाल किया गया है। अब तक रेटिना का निर्माण सख्त पदार्थों से होता रहा है।ब्रिटेन के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वेनैसा-स्थिल्ड की अगुवाई में शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा कि इस अनुसंंधान से एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा और आंखों की गंभीर बीमारियों के इलाज में मदद मिलेगी।
शोधकर्ता ने कहा कि इस रेटिना का निर्माण स्वच्छ जल की बूंदों (हाइड्रोजेल) और जैव वैज्ञानिक झिल्ली के प्रोटीन से किया गया है। इसकी रूप रेखा कैमरे की तरह है जहां कोशिकाएं पिक्सल की तरह काम करती हैं। ये रोशनी को खोज कर उसपर प्रतिक्रिया करती हैं और तस्वीर का निर्माण होता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि रेटिना काफी हद तक कुदरती रेटिना की तरह ही काम करती है। फिलहाल यह अनुसंधान चूहे पर किया गया है और इस वर्ष के अंत तक इंसानों पर भी परीक्षण किया जा सकता है। उम्मीद है कि वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाएगी क्योंकि अगर इरादा नेक हो और पूर्ण समर्पण हो तो सफलता मिलना निश्चित है।
– पंकज सुमन