बीजिंग : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने देश की यात्रा पर आए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से कहा है कि जो उनकी पसंदीदा परियोजनाओं बीआरआई एवं सीईपीसी का विरोध करते हैं, वे कभी सफल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि ये पहल शांति एवं विकास को मजबूती देने के मकसद से हैं। अरबों डालर वाली बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) की प्रमुख परियोजना चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) है जो 50 अरब डालर से बनायी जा रही है। यह राष्ट्रपति शी की पसंदीदा परियोजना है जिसका मकसद विश्व भर में चीन के दबदबे को बढ़ाना है।
भारत चीन के समक्ष सीपीईसी को लेकर अपने विरोध को प्रकट कर चुका है क्योंकि यह परियोजना पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरती है। बाजवा ने चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मिलने के बाद शी से मुलाकात की। पाकिस्तानी सेना के मीडिया विभाग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने एक बयान में बताया कि बाजवा ने विशेष आमंत्रण पर शी से मुलाकात की। दोनों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति से जुड़ी चुनौतियों और भावी समाधान के बारे में विचार विमर्श किया। इससे पूर्व बाजवा ने चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारी चांग योउशिया को भरोसा दिलाया है कि पाकिस्तानी सेना की तरह देश की नयी सरकार भी चीन के साथ व्यावहारिक सहयोग के बारे में सतत नीति का पालन कर रही है।
जनरल चांग शीर्ष सैन्य अधिकारी हैं क्योंकि वह चीन के केन्द्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष हैं। यह आयोग 20 लाख सैन्यकर्मियों वाली जन मुक्ति सेना (पीएलए) का हाई कमान है। चीन की सेना के प्रमुख राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं। बाजवा की मंगलवार को चांग के साथ हुई बैठक में उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तानी सेना और उसकी (देश की) नयी सरकार चीन के बारे में उनकी नीति को लेकर सतत हैं।’’ चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी। पाकिस्तानी सेना के शीर्ष कमांडर का यह बयान ऐसी खबरों की पृष्ठभूमि में आया है कि 50 अरब डालर की लागत से बन रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक परिपथ (सीपीईसी) को लेकर मतभेद चल रहे हैं। भारत ने सीपीईसी को लेकर अपना मतभेद जताया है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है। सोमवार को, बाजवा ने अपनी चीनी समकक्ष जनरल हान वेईगुओ से मुलाकात की थी।