चीन ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए नये परमाणु ऊर्जा कानून का मसौदा तैयार किया है। चर्चा के लिए मसौदे को शुक्रवार को परमाणु फर्मों के पास भेजा गया है। नए परमाणु ऊर्जा कानून के मुताबिक चीन अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी परमाणु फर्मों की सकारात्मक और व्यवस्थित भागीदारी को प्रोत्साहित करने के अलावा उसका समर्थन करेगा।
नए कानून से चीन की परमाणु फर्मों को उपकरण, ईंधन और सेवा का निर्यात करने में मदद मिलेगी। चीन का लक्ष्य 2020 के अंत तक अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता को 37 गीगावॉट से बढ़कर 58 गीगावॉट करना है। वह परमाणु ऊर्जा के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है।
चीन ने‘हुलांग वन’नामक तीसरी पीढ़ के परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण कर लिया है जिसे वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचना चाहता है। उसने‘हुलांग वन’को लेकर ब्राजील, अर्जेंटीना, युगांडा और कंबोडिया के साथ प्राथमिक समझौतों पर हस्तक्षाकर भी कर लिए हैं। इसके अलावा ब्रिटेन में‘हुलांग वन’को स्थापित करने के लिए तकनीकी अनुमति मिलने की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि चीन से बाहर उसकी मदद से बनाया गया एकमात्र परमाणु ऊर्जा संयंत्र पाकिस्तान का चश्मा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।