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वैज्ञानिकों की नई खोज, रेशम के कीड़ों द्वारा दूर होगा कान का बहरापन

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मेलबर्न : सुनने की क्षमता लौटाने और इसमें सुधार करने के लिए वैज्ञानिकों ने पहली बार रेशम के कीड़ों का इस्तेमाल किया है। क्रॉनिक मिडिल ईयर डिसीज और कान का पर्दा फटने जैसी समस्याओं से दुनियाभर में लाखों लोग पीडि़त हैं। इनसे पीडि़त लोगों की सुनने की क्षमता तो प्रभावित होती ही है, संक्रमण जैसी कई जटिलताएं भी हो जाती हैं जिनसे हर वर्ष 30,000 लोगों की मौत हो जाती है।

Resham

अब वैज्ञानिक कान का पर्दा फटने जैसी तकलीफदेह समस्या को दूर करने और सुनने की क्षमता लौटाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने विज्ञान और रेशम के कीड़ों की मदद से एक छोटा सा उपकरण ईजाद किया है जिसका नाम है क्लियरड्रम। यह दिखने में और आकार में कॉन्टैक्ट लैंस की तरह है।

मार्कस एटलस के नेतृत्व में ईयर साइंस इंस्टिट्यूट ऑस्ट्रेलिया की टीम ने ऐसा सिल्क इंप्लांट बनाया है जिस पर मरीज की अपनी कोशिकाएं विकसित हो सकती हैं। इससे कान के पर्दे में सुधार आ जाता है। कई वर्षों के परीक्षण के बाद इंप्लांट ने व्यक्ति के कान के असली पर्दे के मुकाबले और बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता प्रदर्शित की है।

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