हाल की घटनाओं को देखते हुए पाकिस्तान ने अपनी विदेश नीति में बड़ा बदलाव किया है। नई नीति के तहत पाकिस्तान ने सऊदी अरब में अपने सैनिक तैनात करने का फैसला किया है। जानकारी के अनुसार सऊदी में पाक सेना द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग के अंतर्गत तैनात की जाएगी। गुरुवार को पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने रावलपिंडी स्थित मिलिट्री हैडक्वार्टर पर सऊदी के राजदूत नवाफ सईद अल-मलिकी के साथ हुई बैठक के बाद यह घोषणा की।
पाकिस्तान मिलिट्री ने कहा है कि आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा और इस्लामाबाद में सऊदी राजदूत के बीच रावलपिंडी में हुई मीटिंग में यह निर्णय लिया गया। पाक आर्मी ने इस नीतिगत फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि पाकिस्तान सऊदी द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता को जारी रखते हुए पाक आर्मी के एक दल को ट्रेनिंग के लिए सऊदी अरब भेजेगा। सेना ने अपने जारी बयान में कहा कि इन सैनिकों को और वहां पहले से मौजूद सेना को सऊदी अरब से बाहर नहीं भेजा जाएगा।
पाकिस्तान दूसरे खाड़ी और छोटे देशों के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते को जारी रखे हुए है। मीटिंग की जानकारी देते हुए सेना ने बताया कि जेनरल बाजवा और राजदूत के बीच दोनों देशों के परस्पर हित के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर भी बातचीत की गई।
सूत्रों के अनुसार ,पहले से ही पाकिस्तान के करीब 1,000 सैनिक सऊदी अरब में ट्रैनिंग और अन्य मिशन के लिए मौजूद है। हालांकि, इस मीटिंग के बाद अभी तक यह खुलासा नहीं हुआ है कि पाकिस्तान अपने कितने सैनिक सऊदी अरब भेजेगा।
सऊदी अरब 2015 से ही पाकिस्तान से सैन्य मदद मांग रहा हैं, लेकिन इस्लामाबाद सरकार यह कहता हुए इनकार करती आयी है कि वे किसी भी क्षेत्रीय संघर्ष का हिस्सा नहीं बनेंगे। सऊदी अरब के पडोसी मुल्क में पिछले करीब चार साल से हुती विद्रोहियों और यमन के बीच गृह युद्ध चल रहा है। हाल ही में यमन में विद्रोहियों ने सऊदी अरब पर मिसाइल भी छोड़ी थी, जिसके बाद दोनों ही देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
यमन की सरकार को सऊदी अरब का सपोर्ट है, तो वहीं विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिलता रहा है। पिछले साल हुती विद्रोही ने राजधानी सना पर अटैक कर शहर पर कब्जा जमा लिया था। सऊदी अरब का आरोप है कि यमन में अशांति फैलाने के लिए ईरान का हाथ है।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।