इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने विवादित सैन्य अदालतों से आतंकवाद से जुड़े ”जघन्य” अपराधों में दोषी करार चार और ”दुर्दांत” तालिबान आतंकवादियों को आज फांसी दी। वर्ष 2014 में पेशावर आतंकवादी हमले के बाद से अब तक 160 लोगों को फांसी दी गई है। सेना ने एक बयान में कहा कि निर्दोष नागरिकों की हत्या और सशस्त्र बलों पर हमले में शामिल आतंकवादियों को आज सुबह फांसी दी गई।
बयान में कहा गया है, ”सैन्य अदालतों से दोषी करार दिए गए चार अन्य दुर्दांत आतंकवादियों को आज फांसी दी गई। ये आतंकवादी आतंकवाद से संबंधित जघन्य अपराधों में शामिल थे जिनमें निर्दोष नागरिकों की हत्या, मस्जिद पर हमला करना, संचार इंफ्रास्ट्रक्चर का विध्वंस, कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों और सशस्त्र बलों पर हमला करना शामिल है।” जिन दोषियों को मौत की सजा दी गई है उनकी पहचान कैसर खान, मुहम्मद उमर, करी जुबैर मुहम्मद और अजीज खान के रूप में हुई है।
सेना ने कहा कि ये सभी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सक्रिय आतंकवादी थे। अभी यह नहीं पता चला है कि किस जेल में इन्हें फांसी दी गई है। यह भी नहीं बताया गया है कि कब मुकदमा चला और कब उन्हें मौत की सजा दी गई क्योंकि सैन्य अदालतें आतंकवादियों के हमले के डऱ के कारण गोपनीयता से काम करती हैं।
सैन्य अदालतों की पहली दो वर्ष की अवधि जनवरी में समाप्त हो गई थी जिसके बाद मार्च में अन्य दो वर्ष की अवधि के लिए अदालतों को बहाल किया गया। दिसंबर 2014 में पेशावर में सेना के एक स्कूल पर हमले के बाद संविधान में संशोधन करके इन अदालतों का गठन किया गया था। इस हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे। मानवाधिकार समूह जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान का कहना है कि पेशावर हमले के बाद से 441 लोगों को फांसी दी गई है।
पाकिस्तान पिछले एक दशक से ज्यादा समय से विभिन्न चरमपंथी समूहों से लड़ रहा है। आतंकवादी हमलों में हजारों लोगों की जान गई है। सैन्य अदालतों ने 160 से ज्यादा आतंकवादियों को मौत की सजा दी है।
– भाषा