श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने पिछले महीने प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने के अपने विवादास्पद फैसले से उत्पन्न राजनीतिक संकट को समाप्त करने के लिए रविवार को सर्वदलीय बैठक की।
यह संकट तब पैदा हो गया था जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने अचानक घोषणा की थी उन्होंने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है।
सिरिसेना ने बाद में संसद भंग कर दी थी और मध्यावधि चुनाव का आदेश दिया था। संसद का कार्यकाल पूरा होने में करीब 20 महीने बाकी है। उच्चतम न्यायालय ने संसद को भंग करने के सिरिसेना के विवादास्पद निर्णय को मंगलवार को पलट दिया था और पांच जनवरी के मध्यावधि चुनाव की तैयारी स्थगित कर दी।
मालदीव : राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में PM मोदी हुए शामिल
दो दिन पहले ही संसद में अप्रत्याशित हिंसा हुई थी और सांसदों ने एक दूसरे पर कुर्सियां उछालीं और मिर्च पाउडर फेंका। 26 अक्टूबर को संकट उत्पन्न होने के बाद पहली बार सिरिसेना, विक्रमसिंघे और राजपक्षे आपस में मिले।
वैसे जेवीपी या पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट रविवार की बैठक से दूर रहा। पार्टी ने सिरिसेना को लिखा कि वह ही इस संकट के सर्जक है अतएव उन्हें ही इसे खत्म करना चाहिए। पार्टी ने कहा कि उसके लिए इस बैठक में शिरकत करने का कोई कारण नहीं है।
संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने भी बैठक का बहिष्कार किया। उन्होंने बुधवार को घोषणा की थी कि विवादित प्रधानमंत्री राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पश्चात कोई प्रधानमंत्री या सरकार नहीं है।
नये चुनाव के वास्ते सिरिसेना द्वारा संसद को भंग करने के बावजूद जयसूर्या ने 14 नवंबर को सदन की बैठक बुलाने का फैसला किया था। इसी बात पर सिरिसेना और जयसूर्या के बीच टकराव है ।
बीते शुक्रवार को राजपक्षे के खिलाफ दूसरे मत-विभाजन के उपरांत विक्रमसिंघे ने मांग की कि उनकी सरकार बहाल की जाए लेकिन सिरिसेना से अब तक कोई जवाब नहीं आया है।