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सीरिया के हालात पर सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव गिरा

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सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले डौमा में कथित रासायनिक हमले की जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश तीन प्रस्ताव पारित नहीं हो सके। इस बीच खबर है कि अमेरिका, सीरिया पर सैन्य हमला कर सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के घटनाक्रमों का हवाला देते हुए मंगलवार को पेरू के लीमा में होने वाले सम्मेलन के लिए अपना दौरा रद्द कर दिया है।

इस बीच ट्रंप ने सीरिया सरकार पर हमले की तैयारी के लिए ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे से भी चर्चा की है। रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) ने ऐलान किया है कि डौमा में एक तथ्यान्वेषी मिशन भेजा जा रहा है, जहां कथित तौर पर रासायनिक हमला किया गया था।

रूस और सीरिया ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि वे ओपीसीडब्ल्यू से अपने जांचकर्ताओं को वहां भेजने का आह्वान कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें हर तरह की सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान की जाएगी। गौरतलब है कि सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र डौमा में बीते शनिवार को रासायनिक हमला किया गया था।

अमेरिका का कहना है कि इस हमले में 89 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। रूस ने अमेरिका और इसके सहयोगी देशों द्वारा प्रायोजित पहले प्रस्ताव के खिलाफ वीटो कर दिया था। इस प्रस्ताव में डौमा में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव के पक्ष में 12 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ दो वोट पड़े।

चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया। इसके बाद रूस द्वारा पेश दो प्रस्तावों को परषिद में बहुमत नहीं मिला। रूस के पहले प्रस्ताव में स्वतंत्र जांच दल का गठन करने का आह्वान किया गया था, लेकिन इसमें ओपीसीडब्ल्यू के डेटा और विद्रोही संगठनों के बारे में सीरिया सरकार द्वारा उपलब्ध सूचना की जरूरत होगी। इस प्रस्ताव के पक्ष में छह वोट पड़े, जबकि विपक्ष में सात वोट पड़े। दो देशों ने इससे दूरी बनाए रखी।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थाई प्रतिनिधि निक्की हेली ने रूस के वीटो की आलोचना करते हुए कहा, ‘इतिहास गवाह है कि इस दिन रूस ने सीरियाई लोगों का जीवन बचाने के बजाए हैवान की सुरक्षा की।’ रूस ने इस प्रस्ताव पर विभिन्न देशों से चर्चा के बाद इसी तरह का एक और प्रस्ताव पेश किया। हालांकि, इसमें स्वतंत्र जांच की पेशकश नहीं की गई थी।

रूस के इस दूसरे प्रस्ताव के पक्ष में पांच देशों ने वोट किया, जबकि इसके खिलाफ चार ने वोट किया। छह देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। चीन ने रूस के दोनों प्रस्तावों का समर्थन किया। चूंकि रूस के दोनों प्रस्तावों को बहुमत नहीं मिल पाया, लिहाजा अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन में से किसी भी पश्चिमी स्थायी सदस्य को वीटो करने की जरूरत नहीं पड़ी।

अमेरिकी प्रस्ताव को वीटो करने के बाद परिषद में रूस के स्थाई प्रतिनिधि वासिली नेबेनजिया ने कहा कि रूस के वीटो के कारण नवंबर 2017 में खत्म हो गए संयुक्त जांच तंत्र को फिर से स्थापित करना था, लेकिन नई संस्था को सक्रिय रूप से सामने लाने में एक लंबा समय लगता।

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