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वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट पर भारत को मिला ब्रिटेन का साथ, चीन की नीयत पर शंका

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ब्रिटेन ने चीन के द्वारा विकसित किए जा रहे वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट (ओबीओआर) को लेकर चिंता जताई है। ब्रिटेन की ओर से कहा गया है कि उन्हें चीन की इस प्रोजेक्ट के पीछे की लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म की सोच पर शक है। ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, टेरीजा को इस प्रॉजेक्ट में चीन के द्वार ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के पालन और उसकी राजनीतिक की मंशा को लेकर संदेह है। प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने चीन के न्यू सिल्क रोड प्रॉजेक्ट पर भी अपनी सहमति नहीं दी है। इसमें उनकी चिंता साइबर सिक्यॉरिटी को लेकर है।

इस रिपोर्ट में ब्रिटिश सरकार के सूत्रों के हवाले ‘द गार्जियन’ ने दावा किया है कि इसी वजह से ब्रिटिश पीएम ने इसके ऑफिशल इंडॉर्समेंट से संबंधित एक एमओयू (मेमोरैंडम ऑफ असोसिएशन) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। टेरीजा ने अपने चीन के दौरे के दौरान पेइचिंग को अपना नैचरल पार्टनर बताया लेकिन उसके ओबीओआर प्रॉजेक्ट से दूरी बना ली। में अपने चीन दौरे के दौरान कहा कि दोनों देशों को देश साथ में काम करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि दोनों देश यह पता करने की कोशिश करेंगे कि किस तरह से इस क्षेत्र में वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट को बेहतर तरीके से ऑपरेट किया जा सकता है।’ टेरीजा ने इसके इंटरनैशनल मानकों को पूरा करने की भी ओर इशारा किया। उनके इस बयान से यह संदेश गया है कि ओबीओआर के मुद्दे पर उनकी चीन से अबतक सहमति नहीं बन पाई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटिश सरकार इस प्रॉजेक्ट को उचित तरीके से इम्प्लिमेंट करने की पक्षधर है। खबर की मानें, तो ब्रिटेन सरकार इस प्रोजेक्ट से जुड़े किसी भी समझौते पर अपनी मंजूरी नहीं देगी। ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के अनुसार अभी भी ओबीओआर को लेकर पश्चिमी देशों ने अपनी आवश्यक सहमति नहीं दी है। ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका और यूरोपियन कमिशन ने इस प्रॉजेक्ट के बारे में खुलकर उत्साह नहीं दिखाया है।

ब्रिटेन चाहता है कि इस प्रॉजेक्ट में पारदर्शिता बरती जाए, साथ ही इसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों का भी पालन किया जाए। आपकों बता दें कि भारत भी पिछले कुछ समय से चीन के इस प्रॉजेक्ट पर आपत्ति जताता रहा है। भारत का कहना है कि पीओके में उसकी इजाजत के बिना किसी तरह का निर्माण संप्रभुता का उल्लंघन है। कुछ दिन पहले ही चीन ने भारत को शामिल करने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का नाम बदलने पर भी राजी हो गया था, लेकिन बाद में इससे पलटी मार गया। बता दें कि चीन के इस प्रॉजेक्ट में एशिया, यूरोप और अफ्रीका को हाइवे, ट्रेनों और शिप के नेटवर्क के जरिए जोड़ने का प्लान है।

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