नई दिल्ली : बजट के बाद से चली आ रही शेयर बाजारों में गिरावट रुक नहीं रही है। मुख्य कारण कम्पनियों व बैंकों की एनपीए जांच में सरकार द्वारा तेजी लाये जाने से भारतीय शेयर बाजारों की तेजी में बाधा आ गयी है। ऊपर मुद्रास्फीति, औद्योगिक उत्पादन इंडैक्स एवं मार्च का महीना होने से कम्पनियों के व्यापार का वार्षिक लेन-देन का चि_ïा ये सब कारण इस चालू माह में मंदा कारक रह सकते हैं। बीएसई गत सप्ताह 34046.94 से घटकर अंत में 33307.14 अंक रह गया। एनएसई भी 10458.35 से टूटकर अंत में 10226.85 अंक पर बंद हुआ। मार्च का महीना होने से आलोच्य सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में निराशाजनक गिरावट का दौर बना हुआ है। इससे करीब 70 प्रतिशत निवेशकों के विश्वास सूचकांक में गिरावट आई है। कम से कम चालू माह के दौरान तो अभी भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का रुख बना रह सकता है।
मुख्य कारण यह महीना कम्पनियों के खाते का लेन-देन का समय होता है। इससे निवेशकों की लिवाली 80 प्रतिशत से अधिक कमजोर बनी रह सकती है। स्माल व मिड कैप (पूंजी) वाले शेयरों में मंदा देखा जा सकता है। निवेशकों को अधिक प्रोफिट देने वाले शेयरों में ऑटो, स्टील, कुछ बैंकिंग क्षेत्र के शेयर भी गत सप्ताह कमजोर ही रहे और चालू माह में भी और गिर सकते हैं। सरकार द्वारा चलाये गये अभियान में आर्थिक स्तर में सुधार में अब देरी हो सकती है। अत: निवेशक बहुत सोच-समझकर शेयरों में हॉर्सटे्रडिंग कर रहे हैं, बल्कि बिकवाली अधिक कर रहे हैं।
अत: शेयरों में निवेश यानि परचेज पॉवर काफी कमजोर होने से बीएसई व एनएसई बजट के बाद से लगातार लगभग टूटते ही आ रहे हैं। इसके अलावा विदेशों में भी अर्थव्यवस्था गति धीमी पडऩे से वहां भी बीच-बीच शेयर बाजारों में 70:30 बिकवाली-लिवाली का रुख देखने को मिल सकता है। यानि वहां 70 प्रतिशत बिकवाली और 30 प्रतिशत लिवाली रहने से विदेशी निवेशकों की पकड़ भी यहां धीमी हुई है। इससे भारतीय शेयर बाजारों की गति और धीमी हो सकती है।
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