नई दिल्ली : निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि निर्यातकों का सरकार के पास करीब 20,000 करोड़ रुपये का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिफंड अटका हुआ है। इससे निर्यातकों को नकदी का संकट हो गया है। फियो के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा कि रिफंड में देरी की वजह से मुख्य रूप से छोटे निर्यातक प्रभावित हो रहे हैं, जो श्रम आधारित रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं। गुप्ता ने कहा कि निर्यातकों विशेषरूप से एमएसएमई क्षेत्र के निर्यातकों के समक्ष तरलता प्रमुख संकट है।गहन रोजगार वाले क्ष्रेत्रों के निर्यात में इसका प्रमुख योगदान रहता है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी के मोर्चे पर चुनौतियां जारी हैं, हालांकि एक पखवाड़े में मंजूरी का अभियान काफी सफल रहा है। इससे हमें उम्मीद बंधी है कि रिफंड तत्काल आधार पर मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि मार्च में करीब 7,000 करोड़ रुपये का रिफंड दिया गया। अप्रैल में यह राशि एक हजार करोड़ रुपये से कुछ अधिक रही। गुप्ता ने कहा कि हमारे अनुमान के अनुसार एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) और इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) के रूप में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का रिफंड अटका है।
तकनीकी दिक्कतों की वजह से कई निर्यातक आईटीसी रिफंड को दाखिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि इनपुट कर क्रेडिट और निर्यात अलग अलग महीनों के दौरान होने की वजह से इसमें दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी रिफंड की प्रक्रिया काफी धीमी हो गई है। फेडरेशन ने वित्त मंत्री से रिफंड की समस्या पर ध्यान देने की अपील की है। गुप्ता ने कहा कि ज्यादा समस्या आईटीसी रिफंड के मामले में है। यह रिफंड राज्यों में भी होना है। रिफंड की प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप होने की वजह से निर्यातकों के लिये लेनदेन समय और लागत बढ़ रही है।
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