राजधानी दिल्ली की आप सरकार ने अहम फैसला लेते हुए दिल्ली के सबसे बड़े न्यूरो अस्पताल जीबी पंत में अब 50 प्रतिशत बेड दिल्ली के नागरिकों के लिए रिजर्व रखने का आदेश दिया है। जीबी पंत अस्पताल में फ़िलहाल 714 बेड हैं, जिसमें से 357 बेड दिल्लीवालों के रिजर्व होंगे साथ ही रीजर्व रखें।
इन बेड पर दिल्ली के उन नागरिकों का इलाज हो सकेगा जो दूसरे सरकारी अस्पतालों से रेफर करके जी बी पंत भेजे जाते हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले में जी बी पंत अस्पताल प्रशासन को निर्देश जारी कर दिए हैं। इस फैसले पर विवाद उठने के बाद दिल्ली सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि अस्पतालों में दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने के कारण दिल्ली के नागरिकों को बेहतर इलाज और अस्पतालों में बेड की समस्या से जूझना पड़ता हैं। इसीलिए यह फैसला लिया गया है।
ऐसे में दिल्ली के नागरिकों के टैक्स के पैसे से चल रहे सरकारी अस्पतालों पर सबसे पहला हक दिल्ली के लोगों का है। इसलिए सरकार ने जीबी पंत अस्पताल में फिलहाल 50 प्रतिशत बेड राजधानी के लोगों के इलाज के लिए रिजर्व किए हैं। दिल्ली सरकार राजधानी में रहने वाले लोगों को निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज की सुविधाएं मुहैया कराती है। हो सकता है, आप सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक विवाद उठे।
वहीं, सरकार के सूत्रों की मानें तो सरकार जल्दी ही अपने तमाम अस्पतालों में मुफ्त में मिलने वाली सभी दवाइयों की योजना को सिर्फ दिल्ली के नागरिकों के लिए सीमित कर सकती है। अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। केजरीवाल सरकार दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दिल्ली हेल्थ एक्ट लाने की तैयारी कर रही है बता दें कि दिल्ली सरकार जल्द ही ऐसी नीति लाने वाली है, जिसमें सड़क पर कोई एक्सीडेंट हुआ, तो पीड़ित के किसी भी निजी अस्पताल में भर्ती होने पर सारा खर्चा दिल्ली सरकार उठाएगी।
सरकार के सूत्रों की माने तो निजी अस्पतालों की ओर से मनमाना बिल वसूलने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार विधान सभा में नया कानून लेकर आएगी आप सरकार ने एक्सीडेंट विक्टिम पॉलिसी को मंजूरी दे दी है और इसको एलजी के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
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