अयोग्य ठहराए जाने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट के शरण में हैं। आप ने पार्टी के विधायकों को अयोग्य ठहराने के खिलाफ मंगलवार को कोर्ट में याचिका दायर की है। आप की इस याचिका पर हाईकोर्ट कल सुनवाई करेगा। याचिका में चुनाव आयोग के आप विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को निरस्त करने की गुहार लगाई गई है।
बता दें कि इससे पहले आप विधायकों ने खुद को अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिका वापस ले ली थी। आप के विधायकों की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी याचिका अर्थहीन हो गई है, क्योंकि राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिश स्वीकार कर ली है। साथ ही उन्हें अयोग्य करार देने की अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
आप विधायकों के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था कि वह लाभ के पद मामले में 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले राष्ट्रपति के आदेश का परीक्षण करने के बाद अपील दायर करेंगे। आप ने पार्टी के 20 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द किये जाने का ठीकरा केन्द्र सरकार पर फोड़ते हुए दिल्ली की 20 सीटों पर उपचुनाव को ही अब एकमात्र विकल्प बताया था।
क्या है मामला?
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। इससे पहले मई 2015 में चुनाव आयोग के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी।
आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा। इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी। वहीं, राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था।
हाल में चुनाव आयोग ने AAP के 20 विधायकों को लाभ के पद पर रहने का हवाला देते हुए अयोग्य करार दिया था। आयोग के इस संबंध में अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी थी। शुक्रवार को राष्ट्रपति के पास भेजी गई सिफारिश को रविवार को मंजूरी मिल गई और सभी 20 विधायक अयोग्य करार दिए गए।
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