दक्षिणी दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के देशबंधु कॉलेज में वूमेन डेवलपमेंट सेल द्वारा नेशनल सेमिनार ऑन पोरट्रायल ऑफ वूमेन इन इंडियन मीडिया का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का समय युवाओं का है और वह अच्छे से जानते हैं कि वो अगर जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं, जिंदगी को समझना चाहते हैं, समाज को बनाना चाहते हैं और देश को बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले नारी का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि आज की नारी सशक्त हो गई है वह अपना सम्मान करवाना जानती है।
हम सबको सबसे पहले संस्कार मां से मिले और फिर गुरु से संस्कार मिलता है। क्योंकि जन्म देने वाली प्रथम गुरु होती है और उसके बाद गुरु होता है। उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी में दो गुरु हैं एक मेरी मां जिसने मुझे जन्म दिया और दूसरी सासू मां, इन दो महिलाओं का मेरे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। वहीं इस मौके पर उन्होंने कहा कि मीडिया में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है। कोई ऐसा फील्ड नहीं है जहां महिला न हो। उन्होंने कहा कि एक महिला चाहे तो हवा का रुख और पत्थर को मोम में बदल सकती है। साथ ही कहा कि महिला कभी चुप नहीं रह सकती हैं। इकट्ठे जरूर काम कर सकती हैं।
जिसपर उन्होंने कहा कि हां, चुप रहना भी नहीं है क्योंकि अब जमाना भी महिलाओं का है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को हर बात पर बोलना चाहिए क्योंकि महिला किसी से कम नहीं है। इस मौके पर उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर का कहना था कि अगर कुछ बात कहनी है तो पुरुष से कहो और अगर कुछ बात करनी है तो महिला से कीजिए। तो आज हमें अगर कुछ करना है तो महिलाओं को सुनना होगा उन्हें समझना होगा।
पिता जी चाहते थे डॉक्टर बनूं : किरण चोपड़ा
छात्रों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा ने कहा कि केमिस्ट्री से बहुत डर लगता था, क्योंकि उसे रटना पड़ता था। मेरे पिता जी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं। मां-बाप चाहते थे कि बच्चे डॉक्टर, वकील या इंजीनियार बन जाए। डॉक्टर बन नहीं सकीं पिता जी इसको लेकर बहुत नाराज हो रहे थे। फिर केमिस्ट्री नहीं पढ़े जाने के चलते सब्जेक्ट चेंज कर दिया क्योंकि मैं एक ऑलराउंडर छात्रा थी। लेकिन पिता जी का सपना मुझे याद रहा, मैं डॉक्टर बनीं लेकिन एमबीबीएस वाली डॉक्टर नहीं, मुन्ना भाई एमबीबीएस वाली डॉक्टर बनीं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर क्या करता है दवा देता है, दर्द दूर करता है।
तो मैं एक ऐसी डॉक्टर बन गई जिसकी समाज को बहुत सख्त जरूरत थी। वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा ने कहा बुजुर्गों को प्यार और सम्मान की बहुत जरूरत थी तो मैं उनके लिए डॉक्टर बन गई। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के लिए कई किताब लिखीं। डर था कि कोई प्रकाशक उन्हें मौका देगा कि नहीं, तो उस समय हिंद पॉकेट प्रकाशक ने मेरे द्वारा लिखे लेख को जगह दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने मीडिया के जरिए एक समाज में नई क्रांति ला दी। पहले बुजुर्गों को लेकर कहा जाता था कि वह घर में रहने वाले लोग हैं। पूजा पाठ करें और घर में बच्चों की देखभाल करें।
मैंने समाज और देश की मीडिया के जरिए सोच बदल दी। हम बुजुर्गों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे क्लब में जो बुजुर्ग हैं वो गाना गाते हैं, रैंप पर वॉक, डांस करते हैं और वह कोई भी काम कर सकते हैं। बुजुर्गों का स्थान घर में सबसे बड़ा है, वह पूज्यनीय हैं, जहां बुजुर्ग हैं वहीं ईश्वर का निवास होता है। हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि इतिहास खुद को दोहरता है। हमें बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए। हमारे देश में ओल्ड एज होम नहीं होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने स्वयं लिखी हुई किताब बेटियां, आज और कल सहित कई किताब को कॉलेज की पुस्तकालय को भेंट की।
मां से सीखा सब कुछ : अजय अरोड़ा
नेशनल सेमिनार ऑन पोरट्रायल ऑफ वूमेन इन इंडियन मीडिया कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कॉलेज के प्रधानाचार्य अजय अरोड़ा ने कहा कि मैंने जो भी कुछ जीवन में सीखा है। उसमें सबसे ज्यादा श्रेय मां को जाता है। उन्होंने कहा कि जिस परिवार में मां का सम्मान हो वह बहुत अच्छा परिवार होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार और एकल परिवार का परिचालन धीरे-धीरे खत्म हो गया है। पति-पत्नी दोनों के काम करने से बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं मिल पा रहे हैं। इसके अलावा इस कार्यक्रम में मीडिया कंसल्टेंट सरजना शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया में समय के साथ काफी परिवर्तन आ गया है। उन्होंने महिलाओं को लेकर बनने वाले विज्ञापन पर भी निशाना साधा।
वहीं उन्होंने छात्रों से पूछा कि कौन-कौन न्यूज देखता है। तो सभी ने हाथ उठाया। जिसपर एक छात्र ने कहा कि टीवी पर अब न्यूज नहीं व्यूज आते हैं। साथ ही कहा कि मीडिया अब लोगों को भ्रमित करने का काम कर रही है। वहीं इग्नू में स्कूल ऑफ सोशल साइंस के निदेशक प्रो. कपिल कुमार ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘पद्मावत’ फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई थी। जिसके चलते इसका विरोध हो रहा था। उन्होंने फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपनी फिल्मों को हिट करने के लिए ऐसा करते रहे हैं।
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