जज लोया के केस से जस्टिस अरुण मिश्रा ने खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने लोया मामले में दिए आदेश में लिखा है कि मामले को उचित पीठ में लगाया जाए। इसका अर्थ ये है कि यह मामला अब उनके समक्ष नहीं आएगा। सुप्रीम कोर्ट में जज लोया की मौत से जुड़ी याचिका पर जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस शांतना गौडर की बेंच सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के चार सबसे वरिष्ठ जजों के विवाद में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर आरोप लगाए गए थे। चार जजों की तरफ से कहा गया था कि जूनियर जजों को अहम केस दिए जाते हैं। इस विवाद में जस्टिस लोया की मौत के केस की भी चर्चा हुई थी और जस्टिस लोया का केस उसी बेंच में है, जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा भी हैं।
मंगवार को हुई सुनवाई में विशेष CBI जज लोया कि मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह याचिकाकर्ताओं को सभी दस्तावेज दे। यह आदेश देकर जस्टिस अरुण कुमार मिश्र और एम शान्तनागोडेर की पीठ ने कहा कि कि सुनवाई 10 दिन बाद होगी।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मंगलवार को पीठ ने कहा मामला गंभीर है याचिकाकर्ताओं को सब कुछ पता होना चाहिए। राज्य सरकार की और से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश साल्वे पेश हुए। वह सील कवर में जज की मौत में हुई जांच से जुड़े दस्तावेज लाए थे। पीठ ने कहा याचिकाकर्ता ये दस्तावेज किसी के साथ साझा नहीं करेंगे।
यह केस सुप्रीम कोर्ट के जजों में विवाद का केंद्र बन गया था, शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले चारों वरिष्ठ जजों ने कहा था कि उन्हे यह केस जूनियर बेंच को देने पर एतराज था लेकिन CJI ने उनकी बात नहीं मानी, इसके बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे देश को चकित कर दिया था।
जज लोया गैंगस्टर सोहराबुद्दीन की फर्जी मुठभेड़ के मामले का ट्रायल देख रहे थे। इस मामले मे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अभियुक्त थे। लोया कि दिल का दौरा पड़ने से एक दिसंबर 2014 को मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला कांग्रेस नेता तहसीन पुनवाला और एक स्थानीय पत्रकार ने दायर किया है।
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