प्राइवेट स्कूलों पर केजरी 'वार' - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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प्राइवेट स्कूलों पर केजरी ‘वार’

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दिल्ली जैसे राजधानी के स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन कराना एक बहुत मुश्किल काम है जो हर मां-बाप को करना पड़ता है। नर्सरी से पीएचडी तक मिशन एडमिशन के लिए माता-पिता को तरह-तरह की कठिनाइयों से रूबरू होना पड़ता है। पिछले दिनों प्राइवेट स्कूलों के मामले में फीस वृद्धि को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक जबरदस्त स्टैंड लिया और कहा कि जो स्कूल बढ़ी हुई फीस माता-पिता को वापस नहीं करेगा दिल्ली सरकार उसका टेकओवर कर लेगी। पहली बार दिल्ली में सत्ता के सर्वोच्च केन्द्र उपराज्यपाल ने भी इस पर अपनी स्वीकृति प्रदान की। इसके साथ ही 449 स्कूलों के नाम भी सामने आ गए जिनका नियंत्रण दिल्ली सरकार को लेना था। खैर यह तस्वीर का एक वह पक्ष था जिसके बारे में हर कोई जानता है।

मैं पिछले दिनाें के जिस मामले का उल्लेख करने जा रहा हूं वो प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट की तानाशाही की पोल खोल रहा है। हालांकि मेरा बेटा अभी प्ले स्कूल में है। आप जानते ही हैं कि दिल्ली में प्ले स्कूलाें का प्रचलन बढ़ रहा है। मेरे बेटे का 10 अगस्त को जन्मदिन था तो मैंने पत्नी को कहा कि उसके प्ले स्कूल में बच्चों को टॉफियां, चॉकलेट और स्वीट्स बांट दी जाएं तो बच्चों की दुनिया में खुशी की लहर दौड़ेगी परन्तु ऐसा नहीं हुआ। मेरी पत्नी ने प्ले स्कूल में फाेन लगाया तो उन्होंने कहा कि ऐसे नहीं चलेगा। आप हमें 30 हजार रुपए दे दो और वो भी नकद। हम खुद बच्चों को यह सब कुछ बांटेंगे साथ में टीचर्स को गिफ्ट भी देंगे। सारा बन्दोबस्त हम करेंगे। एक पिता होने के नाते मैंने ये सब कुछ किया। उन्होंने 30 हजार कैश मांगे थे। मैंने जानबूझकर और रिकाॅर्ड रखने के लिए उन्हें 30 हजार का चैक दिया। अपने बच्चे की खुशी की खातिर मैंने सब कुछ वही किया जो प्ले स्कूल के प्रबन्धक चाहते थे। तस्वीर का यह पहलू आपके सामने है लेकिन मेरे सामने सारे वो पहलू हैं जो एक आम नौकरी-पेशा वाले इन्सान से जुड़े हैं और वे अपने बच्चों को अगर प्ले स्कूल में भेजना चाहते हैं तो कितनी मुश्किलें पेश आती होंगी।

सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली के बच्चों को लेकर शिक्षा से जुड़े उस मुद्दे का पहली बार हल निकाला है जिसके बारे में राजनीतिक पार्टियों ने आज तक उन लोगों का साथ दिया था जो आज शिक्षा के माफिया बने बैठे हैं। दिल्ली सरकार के इस सीएम ने जिस तरह से मजबूत स्टैंड लेकर प्राइवेट स्कूल वालों की नकेल कसी है इसका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने साफ कह दिया है कि दिल्ली की जनता को अगर स्कूल प्रबन्धक यूं ही तंग करते रहेंगे तो फिर वह दिन दूर नहीं जब उन्हें और भी सख्त कार्रवाई करनी होगी। केजरीवाल की इस चेतावनी का हम स्वागत करते हैं।
दरअसल दिल्ली में स्कूल माफिया ने जिस तरह से अपना तंत्र बढ़ाया है उन पर शिकंजा बहुत पहले कसा जाना चाहिए था लेकिन तीन साल के शासन में केजरीवाल सरकार ने वो सब कुछ करके दिखाया जिसकी एक गरीब आम आदमी को दरकार थी। प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस के तहत केजरीवाल ने अपने शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया को खास निर्देश दे रखे थे कि इस कोटे के तहत अमीरों के बच्चों को डोनेशन के बदले दाखिला देने स्कूल प्रबन्धकों पर नजर रखी जाए। केजरीवाल ने जो ड्रा व्यवस्था की उससे आम आदमी को फायदा हुआ। इसे ही शिक्षा व्यवस्था की खूबी माना जाता है। केजरीवाल ने शिक्षा को लेकर कानून सख्ती से लागू किया है।

दरअसल प्राइवेट स्कूल वाले जब सरकार से जमीन लेने के लिए एजुकेशन सोसायटी बनाकर अपना आवेदन देते हैं तो अनेक अधिकारियों के साथ पैसे का खिलवाड़ करते हैं। कानून यह कहता है कि जब उन्हें डीडीए से लगभग एक से सौ रुपए गज के हिसाब से चैरिटी के लिए जमीन मिलती है तो बदले में वे एक एफिडेविट भरते हैं जिसमें वे शपथ लेते हैं कि निर्धन और कमजोर वर्ग के बच्चों को 25 प्रतिशत तक दाखिला सुनिश्चित करेंगे परन्तु ये स्कूल वाले ऐसा न करके अमीरों से गुलाबी नोट लेकर उनके बच्चों को डोनेशन के बदले दाखिला दे देते हैं। केजरीवाल ने इस मामले पर अब प्राइवेट स्कूल प्रबन्धकों की नस दबाते हुए सही चोट की है। अभी तो इन प्राइवेट स्कूल वालों ने अपने स्कूलों के बाहर जिस तरह से अतिक्रमण कर रखा है, हम तो इस मामले में भी केजरीवाल साहब से अपील करेंगे कि इन पर शिकंजा कसो।

इसके अलावा एक चौंकाने वाली बात यह है कि प्राइवेट स्कूल प्रबन्धक अपने शिक्षकों का जिस तरह से आर्थिक शोषण करते हैं, इसे लेकर भी इन स्कूलों की नियमित आडिटिंग होनी चाहिए। स्कूली छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के खिलाफ प्रबन्धकों ने जिस प्रकार नियमों का उल्लंघन किया इसे लेकर हमारे अखबार ने लम्बी लड़ाई लड़ी है। हमारा मानना है कि केजरीवाल एक मजबूत सीएम के रूप में सामने आए हैं जिन्होंने शिक्षा माफिया को सबक सिखाने की ठानी है।

शिक्षा जगत में जिस तरह से प्रशासनिक अधिकारी सरकार के साथ प्राइवेट स्कूल वालों से भी नोट कमा रहे हैं और उनकी पैरोकारी कर रहे हैं उन पर भी शिकंजा कसा जाना चाहिए। इस शिक्षा जगत में इंस्पैक्टरी राज जिन अधिकारियों ने चलाया है उनके खिलाफ भी केजरीवाल को डंडा चलाना होगा। मैं फिर से अपने उस पहले प्वाइंट पर आता हूं जो प्ले स्कूल से जुड़ा है। अगर कोई माता-पिता अपने नन्हे-मुन्ने बच्चे के जन्मदिन पर कुछ टॉफियां और स्वीट्स बांटना चाहता है तो क्या इस तरह तीस हजार रुपए की मांग करना सही है?

गरीब-अमीर शिक्षा के मामले में संविधान की नजर में कहीं भी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। प्राइवेट स्कूल वाले भेदभाव नहीं कर सकते। अगर वे नियमों का उल्लंघन करते हैं तो फिर जिस तरह से केजरीवाल ने टेकओवर की मुहिम चलाई है इसे और कड़ा करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। हमें ऐसे कड़े पग का इन्तजार रहेगा क्योंकि यह दिल्ली के छात्र-छात्राओं के माता-पिता की भलाई के लिए है। हम इसका तहेदिल से स्वागत करते हुए यही कहेंगे ‘वैलडन केजरीवाल’।

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