फीस भरी सबक नहीं सीखा - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

फीस भरी सबक नहीं सीखा

NULL

आज दुनियाभर की गाडिय़ां भारत में आ चुकी हैं। महानगरों की सड़कों पर चमचमाती लम्बी गाडिय़ां और मोटरसाइकिलें आ गई हैं। सबका चलाने का अलग-अलग स्टाइल है, इन्हें चलाने का तजुर्बा भी बहुत जरूरी है। तजुर्बा नहीं हो तो दुर्घटनाएं होंगी ही। नई प्रौद्योगिकी की कारों को छोड़ दीजिए, लोगों को भारतीय वाहनों को चलाने का अनुभव नहीं है। जब देश के मंत्री ही यह बात स्वीकार करते हैं कि देश में एक तिहाई ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी हैं तो समझना मुश्किल नहीं कि भारत में परिवहन की व्यवस्था कैसी है। राजधानी में आरटीओ ऑफिसों में ड्राइविं लाइसेंस कैसे बनाए जाते थे, यह सब जानते हैं। कभी 100 रुपए रिश्वत देकर लाइसेंस बनते थे, धीरे-धीरे रिश्वत की दरें बढ़ती गईं। यह दर 1000 से 2000 तक जा पहुंची। अब आरटीओ ऑफिस कम्प्यूटरीकृत हो गए हैं। नए ऑफिस खुल गए हैं। मारामारी भी कम हुई है, भ्रष्टाचार भी पहले से कम हुआ है। इसके बावजूद टेस्ट लेने की जो व्यवस्था होनी चाहिए, वह दिखाई नहीं देती।

आरटीओ के निकट किसी भी खुले मैदान में लोग गाडिय़ां लेकर खड़े हैं, टेस्ट लेने वाला एक ही कर्मचारी या अधिकारी खड़ा हो जाता है। वह लोगों को गाड़ी चलाते देखता है और बस नाम-पता पूछकर आवेदन फार्म पर टिक कर देता है। हुआ काम खत्म। ड्राइविंग लाइसेंस आपके घर पहुंच जाता है। राजधानी के तेज रफ्तार और घने ट्रैफिक के माहौल में ड्राइविंग का अनुभव चाहिए। साथ ही ट्रैफिक सेंस भी चाहिए, धैर्य भी चाहिए और सजगता भी। सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ौतरी हो रही है। हिट एण्ड रन मामले भी चर्चित हो रहे हैं और रोडरेज की घटनाएं भी बढ़ी हैं। एक नए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस है वे कभी गाड़ी में बैठे तक नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 में से 6 लोगों को बिना किसी टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है। सर्वे में देश के 10 बड़े शहरों को शामिल किया गया जिनमें 5 मैट्रो शहर हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में केवल 12 फीसदी लोगों को ही ईमानदारी से लाइसेंस मिला है जबकि 88 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने कोई ड्राइविंग टेस्ट नहीं दिया।

दिल्ली में 54 और मुम्बई में लगभग 50 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने टेस्ट में भाग ही नहीं लिया। यह सर्वे रोड सेफ्टी एडवोकेसी ग्रुप सेव लाइव फाउंडेशन द्वारा किया गया। छोटे शहरों में तो शायद कोई टेस्ट देता ही नहीं होगा। विदेशों में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के बहुत ही कड़े नियम हैं। लोगों को तीन-चार बार टेस्ट देना पड़ता है, वहां के लोग अनुशासित भी हैं, वे नियमों का पालन करते हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर उनका लाइसेंस तुरन्त निलम्बित या रद्द कर दिया जाता है और भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया जाता है। भारत में हो यह रहा है कि पहले तो ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी, ऊपर से नियम तोडऩे वाले लोगों की भरमार। चालान काटने के लिए किसी पेड़ की ओट में छुपकर बैठे ट्रैफिक पुलिस वालों के साथ होमगार्ड होते हैं, जो सिर्फ धन उगाही का काम करते हैं। दिहाड़ी बन गई तो नाका हटा लिया जाता है। फिर किसी दूसरी जगह मोर्चा लगाया जाता है। यमुना एक्सप्रेस वे पर बेलगाम वाहन चलाने वाले देशभर के 22538 वाहन चालकों के ड्राइविंग निरस्त करने की खबरें भी आ रही हैं। 110842 वाहन मालिकों को चालान भुगतना होगा। सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए ऐसे कदम उठाने जरूरी हैं। लखनऊ को तहजीब का शहर माना जाता है लेकिन ट्रैफिक जाम की तफ्तीश की गई तो पाया गया कि लोगों के पास गाड़ी तो है मगर चलानी नहीं आती। राजधानी दिल्ली को ही देख लीजिए।

अजब का नजारा देखने को मिलता है। गाड़ी सिग्नल पर खड़ी है, पीछे वाले को सब्र नहीं, हॉर्न पर हॉर्न, जहां जगह देखी, गाड़ी पार्क कर दी। ट्रैफिक जाम भरे चौराहे पर गाड़ी को एक के पीछे एक खड़ी करने की बजाय आड़ा-तिरछा लगाने में भी होशियारी समझी जाती है। जरा सी जगह मिली, गाड़ी रफ्तार पकड़ लेती है। चाहे गाड़ी किसी गाड़ी या खम्भे से ही क्यों न टकरा जाए। ट्रैफिक सेंस नानसेंस बन गई है। दोष किसको दें, दरअसल इन्होंने केवल फीस भरी है, गाड़ी चलाना तो सीखा ही नहीं। लोग सड़कों पर मरने को मजबूर हैं। दिल्ली की अदालत ने बहुचर्चित बीएमडब्ल्यू हिट एण्ड रन केस में हरियाणा के उद्योगपति के बेटे उत्सव भसीन को 2 साल की कैद की सजा सुनाई और 12 लाख का जुर्माना भी लगाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार ने फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि गाय को मारने वालों के लिए अलग-अलग राज्यों में 5 से 14 साल तक की सजा है, लेकिन लापरवाह तरीके से की जा रही ड्राइविंग से व्यक्ति की मौत के लिए कानून में सिर्फ 2 साल की ही सजा है। कैसा है हमारा कानून। नया मोटर वाहन संशोधन एक्ट राज्यसभा में पारित होना है जबकि लोकसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका है। देखना है क्या परिवर्तन आता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।