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बेटियों को सलाम

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पिछले 2-3 साल से बाबाओं का समय अच्छा नहीं। कई बाबे जिनकी हजारों-लाखों में फालोइंग (अनुयायी) हैं, उनके असली रंग-रूप सामने आ रहे हैं और वह लगातार जेल की सलाखों के पीछे जा रहे हैं। इससे यह तो साबित हो रहा है कि यह सरकार नोट-वोट की राजनीति नहीं कर रही बल्कि देश के बिगड़े सिस्टम आैर बिगड़े बाबाओं को सुधार रही। भले ही इससे बाबे व उनकी संगतें नाराज हों।

देश के सुधार में व्यापारी, बिल्डर, बिजनेसमैन बहुत दुःखी हैं क्योंकि इतने सालों से लोग जिस सिस्टम के आदी हैं अगर कोई भी बदलाव आता है तो मुश्किल होती है परन्तु व्यापारियों के बारे में सरकार को सोचना चाहिए जाे सारे देश की अर्थव्यवस्था की बैकबोन हैं। बहुत ही नामी-गिरामी बाबा जिनकी हजारों-करोड़ों में सम्पत्ति है, जिनकी उतनी ही फालोइंग है फिर भी यह पकड़े गए और इनको सजा हुई,

इसके​ लिए न्यायाधीशों, केबिनेट और सरकार को तो नमन है ही, सबसे ज्यादा मैं उन बेटियों को सलाम करती हूं जिन्होंने इस अन्याय के प्रति आवाज उठाई क्योंकि मेरी नजर में अन्याय करना और सहना दोनों बुरे हैं परन्तु बेटियों के मामले में अक्सर यही समझा जाता है कि वह डर के मारे चुप रहती हैं। पहले परिवार से डरती, फिर समाज से अाैर दूसरी तरफ कह लो तो उन्हें डराया भी जाता है।

मैं ऐसी बेटियों को नमन करती हूं आैर उन्हें बधाई देती हूं जिन्होंने न केवल अन्याय नहीं सहा बल्कि उसके विरुद्ध मजबूती से आवाज भी उठाई और उनके माता-पिता और उनके साथी और वे सब लोग जिन्होंने इतने सालों तक साथ दिया, बधाई के पात्र हैं। यह कोई मामूली बात नहीं कि आम घर की लड़कियां एक ऐसे बहुरूपिये का मुकाबला कर रही थीं जो धोखाधड़ी, छलकपट और​ क्रिमिनल का मुखौटा ओढ़े हुए थे और जिनके पास हर राजनीतिज्ञ जाता था। राजनीतिज्ञों की बात कह लो तो यह उनकी राजनीति होती है।​

जिस बाबा के जितने अनुयायी होंगे,अगर बाबा खुश तो उसके अनुयायी भी खुश और उनको वोट भी मिलेंगे तो हर राजनीतिज्ञ सिर्फ उसका नाम और फालोइंग देखकर उसके पास जाता है। उसके अन्दर कौन सा बहुरूपिया छिपा है, यह जानने की कोशिश भी नहीं करता। अक्सर माताएं या घर वाले जिस भी बेटी के साथ अन्याय हो, अक्सर रिश्तेदार या जानने वाले या बाबा करते हैं,

तो यह कहकर दबा देती हैं कि चुप रह शोर नहीं मचाना, बदनामी हो जाएगी और कहीं कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति ने किया हो तो वह जान से मार देगा आदि-आदि परन्तु मैं इन बेटियों के जज्बे को सलाम करती हूं। मैं कहती हूं उन्हें सरकार को सबके सामने ईनाम भी देना चाहिए और सम्मान भी देना चाहिए। हर रिश्तेदार, भाई-बंधुओं को इनकी बहादुरी पर इनको सम्मान, प्यार, इज्जत देनी चाहिए।

मैं सरकार और कैबिनेट को बधाई दूंगी जिन्होंने 12 साल तक की बच्ची के​ रेपिस्ट को फांसी देने का फैसला किया है। यह बहुत ही अच्छा सराहनीय कदम है क्योंकि 12 साल तक की बच्ची से रेप एक जघन्य अपराध है। जिस बच्ची को रेप के मायने भी मालूम नहीं उसके साथ रेप करना इससे बड़ा अपराध हो ही नहीं सकता परन्तु इसके साथ मैं यह भी प्रार्थना करूंगी कि अपराध तो अपराध है चाहे वह 12 साल की बच्ची के साथ हो या 18 साल की या 90 साल की म​हिला हो। जबर्दस्ती रेप करना उतना ही खराब है तो ऐसे लोगों को भी फांसी या उम्रकैद होनी ही चाहिए।

एसिड अटैक और 12 साल तक की बच्ची के रेपिस्ट को फांसी और उसके बाद की कड़ी सजा टिल डैथ, उम्रकैद होनी ही चाहिए या ऐसे लोगों की सैक्स क्षमता को ही समाप्त कर देना चाहिए ताकि वह जीयें तो इस ग्लानि के साथ जीयें कि अगर उन्होंने ​किसी की जिन्दगी खराब की है तो उनकी भी जिन्दगी खराब हो। हर बच्ची को बेटी को मैं प्रार्थना करूंगी कि अगर उसको कोई बुरी नजर से देखे तो घर में अपने मां-बाप को बताए,

कोई पीछा करे तो भी बताए आैर मां-बाप को प्रार्थना करूंगी कि बच्ची की बात को गम्भीरता से लें, तुरन्त एक्शन लें, बदनामी से न घबराएं क्योंकि बदनामी उनकी नहीं, उनकी बेटी की नहीं अपितु उस शख्स की होगी जो उसका पीछा करता है, यह गन्दी हरकत करता है। मैं तो कहूंगी वो शख्स मर्द है ही नहीं, वो राक्षस है, हैवान है।इन दो बेटियों ने जिन्होंने इन राक्षसी बाबाओं के खिलाफ आवाज बुलन्द की, उनको सारे समाज के सामने लाईं आैर इन्साफ करके आैर लेकर हटीं उन्होंने साबित कर दिया-यह इन्साफ का मन्दिर है इन्साफ का घर देर जरूर है अन्धेर नहीं है।

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