राजस्थान के राजसमंद में पिछले वर्ष हुए बर्बर हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। बहुचर्चित अफराजुल खान लाइव हत्याकांड ने लोगों के दिल दहला दिए थे। आरोपी शम्भू लाल रैगर ने बंगाली श्रमिक की हत्या का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था जिसमें उसने इस हत्या को लव जेहाद का बदला करार दे दिया था। वीडियो में हत्या को अन्जाम देने के दौरान वह चिल्लाता हुआ यह कह रहा था-‘जेहादियो, हमारे देश से हट जाओ।’ इस वीभत्स वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसा तूफान खड़ा हो गया कि कुछ संगठन हत्यारे शम्भू लाल रैगर के समर्थन में लिखने लगे। उसके समर्थन में प्रदर्शन किए गए, उसका महिमामंडन किया गया। हत्यारे को समाज का नायक बनाने की कोशिश की गई।
मुस्लिमों के संगठन सोशल मीडिया पर इस बर्बर हत्याकांड का विरोध करने लगे। राजसमंद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। किसी ने नहीं सोचा कि क्या मजदूर अफराजुल को खेतों में ले जाकर उसे कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ हमले कर काट डालने के बाद उसके ऊपर कैरोसिन तेल डालकर जला डालने को सभ्य समाज में सहन किया जा सकता है? एक घिनौने अपराध को लव जेहाद के आवरण से ढका जाना क्या न्यायोचित है? इस अपराध कथा का सत्य अब सामने आया है कि आरोपी शम्भू लाल रैगर ने पश्चिम बंगाल निवासी 50 वर्षीय महिला की नाबालिग बेटी के साथ अवैध सम्बन्धों को छिपाने के लिए हत्या की थी क्योंकि बंगाली मजदूर को उसके अवैध सम्बन्धों की जानकारी थी। आरोपी ने पहले भी नाबालिग लड़की को अपने कब्जे में रखा था आैर पंचायत ने इसके लिए उस पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में कहा गया है कि रैगर हत्या से पहले जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों आैर मुस्लिमों के खिलाफ घृणा के वीडियो देखता था। आरोपी ने हत्याकांड के बाद मीडिया में ज्यादा से ज्यादा ध्यान खींचने के लिए वीडियो बनाने समेत कई चीजें कीं। वह हत्याकांड के जरिये साम्प्रदायिक तनाव पैदा कर दक्षिणपंथियों के बीच हीरो बनना चाहता था। इस हत्याकांड से एक वर्ष पहले भी उसने 15 वर्षीय भतीजे के सामने मुर्गियों आैर बकरियों का गला काट दिया था तथा इसे साम्प्रदायिक रंग दे दिया था। तब भी उसने अपने भतीजे से इसका वीडियो बनवाया था। हर अपराध के पीछे एक मनोविज्ञान छिपा होता है।
समाज इसे समझने को तैयार ही नहीं है। शम्भू नृशंस हत्याकांड को अन्जाम देकर बंगाली मजदूरों में खौफ पैदा करना चाहता था ताकि उसके अवैध सम्बन्धों का किसी को पता नहीं चल सके। देश के बदलते माहौल में हिंसा और घृणित अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ना देश के लिए खतरनाक है। इन्सानियत, भाईचारा, अमन और सद्भाव छोड़ समाज में जो घृणित अपराध हो रहे हैं उससे यह साफ है कि देश में सहिष्णुता रूप बदल रही है। अहिंसा में विश्वास रखने वाले बड़े वर्ग ने ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ डटकर बोलना छोड़ दिया है। हमारे संविधान से इसी तरह छेड़छाड़ की कोशिशें होती रहीं तो हम अपना मूल अस्तित्व ही खो देंगे। समाज के वंचित, दलितों काे सुरक्षा देने वाले कानून के मूल ढांचे से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। समाज में हिंसा और नफरत का प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। अफराजुल की हत्या और उसके बाद के घटनाक्रम से हमारे विश्वास की हत्या हुई है। देश में अफराजुल जैसे करोड़ों लोग हैं जो मेहनत और मजदूरी करते हैं, जिन्हें सामाजिक सुरक्षा देना सरकारों की जिम्मेदारी है।
नफरत की गहराई को समझने की जरूरत है कि इसकी जड़ कहां है? घृणा का नशा हिंसा के मूल में है। यह नशा तेजी से फैलाया जा रहा है। प्राचीन-पुरातन संस्कृति के नाम पर कुछ लोग ऐसा एजेंडा चला रहे हैं जबकि हमारी संस्कृति ऐसी नहीं है। भारत की मूल चेतना का विकृत रूप पेश किया जा रहा है। एक झूठ को लगातार प्रसारित करके लोगों के गले उतारने की जबरन कोशिशें हो रही हैं। शम्भू जैसे लोगों की मानसिकता की जड़ तक पहुंचना बहुत जरूरी है। ऐसा राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर करना बहुत जरूरी है। अपराध और अपराधी दोनों को वर्ग-जाति में बांटने की बजाय उसे हताेत्साहित करने की जरूरत है। यह काम समाज को करना होगा तभी इसे फैलने से रोका जा सकता है। संस्कृति और लोकतंत्र को बचाना है तो हमें खुद को जगाना होगा। इस अपराध कथा के पीछे कोई लव जेहाद नहीं था बल्कि एक आपराधिक मनोवृत्ति वाले व्यक्ति के दिमाग में बैठी घृणा और अपने अपराध को छिपाने का नापाक इरादा था। जानिये, सोचिये शम्भू कितना शातिर है जिसने पूरे अपराध पर असत्य का आवरण आेढ़ाने की कोशिश की।