गुरूग्राम: हरियाणा के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रामनिवास ने आज गुरुग्राम में पहुंचकर व्यापारी संगठनों तथा ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) को अपनाने में उनके समक्ष आ रही दिक्कतों के बारे में जानकारी हासिल की। ज्यादात्तर ट्रेडर ऐसोसिएशन तथा ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने जीएसटी का स्वागत किया और इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने बैठक में पहुंचे जिला टैक्सेशन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट नवीन गुप्ता, उपाध्यक्ष वी के चौहान तथा चार्टिड अकाउंटेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से कहा कि वे जीएसटी को समझने में व्यापारियों की मदद करें और टैक्स अदायगी में उनका सहयोग करें।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा व्यापारियों की मदद के लिए जीएसटी सुविधा केंद्र खोले जाएंगे परंतु टैक्सेशन बार तथा चार्टिड अकाउंटेंट भी आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रकार के सुविधा केंद्र खोल सकते हैं। श्री रामनिवास ने यह भी कहा कि अभी भी बहुत सारे व्यापारियों को जीएसटी के बारे में पूर्ण जानकारी नही है और उनके मन में जीएसटी को लेकर बहुत सी भ्रांतियां हैं। उन्होंने आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे व्यापारियों के लिए और भी सैमिनार आयोजित करें ताकि उनके मन में किसी प्रकार की भ्रांति ना रहे। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापारियों की तरफ से आज उनके सामने जो भी सुझाव रखें गए हैं, उन्हें वे अपनी रिपोर्ट में लिखकर राज्य सरकार को भेजेंगे।
टे्रडर एसोसिएशन की तरफ से कन्हैया लाल पहुवा ने अतिरिक्त मुख्य सचिव के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि जीएसटी के अंतर्गत कंपोजिशन योजना में एक वित्त वर्ष में छोटे करदाताओं के लिए लिमिट 75 लाख रूपए से बढाकर डेढ़ करोड़ रूपए की जानी चाहिए। इस योजना को चुनने वाले करदाता अपने उपभोक्ताओं से कोई टैक्स नहीं लेंगे और ना ही वे किसी इंपुट टैक्स कै्रडिट का दावा करने के हकदार होंगे। योजना के तहत करदाता को सेल का एक प्रतिशत टैक्स के रूप में भरना होगा। श्री पहुवा ने ये भी कहा कि ज्यादात्तर छोटे व्यापारी ज्यादा पढ़-लिखे नहीं हैं और उन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता, इसलिए जीएसटी के अंतर्गत रिटर्न भरने का अंतराल तीन महीने किया जाना चाहिए। बैठक में पहुंचे कालीन विक्रेता ने बताया कि पहले गुजरात के गांधी नगर से उनका सामान कच्चे बिल पर आता था परंतु अब जीएसटी लगकर आ रहा है, इसलिए वे अब बिल पर ही अपने सामान की बिक्री करते हैं।
– शशि सैनी, सतबीर, अरोड़ा