पुन्हाना: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि गीता हमें जीने का तरीका सिखाती है। जीने के लिए संतोषी होना बहुत जरुरी है तथा संतोष के साथ-साथ सपन्नता व संर्घष भी जरुरी है। उन्होंने कहा कि हमे निष्काम कर्म की प्रेरणा गीता से मिलती है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने यह विचार स्थानीय एमडीए के सभागार में गीता जंयती समारोह के उपल्क्ष्य में आयोजित जिला स्तरीय सैमिनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने इस मौके पर दीप प्रज्वलित कर जिला स्तरीय विचार गोष्ठी का शुभारंभ किया।
उन्होंनें कहा कि गीता सम्र्पूण भारत दर्शन का निचोड है। गीता जीने का ढंग सीखाती है। उन्होंने कहा कि पढऩे वाला जिस भाव को लेकर पढ़ता है वही भाव गीता ग्रंथ में से निकलता है। उन्होंने कहा कि इस समारोह को मनाने का मुख्य उद्देश्य जन-जन तक गीता का ज्ञान पहुंचाना है ताकि लोग गीता का सार समझ सके। भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में धनुषधारी अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। अत: सरकार ने पूरे हरियाणा प्रदेश के सभी जिलों में गीता जयंती महोत्सव को मनाने का निर्णय लिया ताकि गीता का ज्ञान जन-जन तक पुहॅचे सके। इस मौके पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं आधकारिता का मुमेन्टों भेंट कर स्वागत किया गया। इस मौके पर उपायुक्त अशोक शर्मा ने गीता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता हमें जीने व मरने का ढंग सिखाती है।
गीता हमारे ग्रंथों में एक हीरा है, जीवन एक संग्राम है, इसलिए मनुष्यों को अपने कतव्र्य का पालन करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए तथा मुनष्य को किसी भी तरह निराश नही होना चहिए तथा जीवन के अंदर कभी घबराना नही चाहिए। उन्होंने कहा कि डाक्टर हमारे शराीरिक रोगों को दुर कर सकता है लेकिन हमारे आंतरिक विकार को दुर करने में गीता ही समाधान करती है। गीता सब प्राणीयों से मिलकर रहने का संदेश देती है तथा गीता ज्ञान का अथाह सागर है यहां तक की योग का भी गीता समाधान करती है। हम कितनी भी उन्नती करें लेकिन हमें सुख प्राप्त नही होता इसमें भी गीता हमें सदैव जीवन में आगें बढने की प्ररेणा देती है।
उन्होंने कहा कि आत्मा अजर व अमर होती है जिसे ना तो उसे आग जला सकती है और न ही पानी उसे गीला कर सकता न ही कोई भी धातू काट नही सकती। इस सेमीनार में मुख्यवक्ता के तौर पर बोलते हुए देवराज शास्त्री ने बताया कि लगभग 5500 साल पहले महाभारत का युद्ध हुआ था। यह युद्ध पांडवों और कोरवों के बीच हुआ था। इस युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था जब अर्जुन ने हथियार उठाने से मना कर दिया था। उन्होंने बताया कि भागवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश देते हुए कहा था कि यह लड़ाई धर्म और अधर्म की है।
– फिरोजपुर झिरका, गुरूदत्त भारद्वाज, पुष्पेंद्र शर्मा