रायपुर : राजनांदगांव आंखफोड़वा कांड की जांच कर कांग्रेस का दल लौट आया है। कमेटी के प्रमुख डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि राजनांदगांव क्रिश्चन फेलाशीप हास्पिटल में इलाज के दौरान 35 लोगों की आंखों की रौशनी नहीं रही। 23 फरवरी को हुए आपरेशन में 25 फरवरी को अस्पताल प्रशासन को पता लग गया था कि इनकी आंखों में इंफेक्शन हो गया है और उनका त्वरित इलाज जारी किया है। उन्होंने बताया कि तथ्यों की जांच करने के बाद और स्वास्थ्य प्रशासन के अधिकारी से बात करने के बाद पाया कि आंखों में इन्फेक्शन हुआ है जिसमें 101 मरीजों में केवल 30 लोगों के पास स्मार्ट कार्ड था और उनके इलाज में किसी प्रकार का समझौता किया गया।
आपरेशन में जो दर है वो काफी कम थी। उसके अलावा ये बात सामने आयी है कि वहां पर क्रिश्चन फेलाशीप हास्पिटल में मरीजों का इलाज तो हुआ लेकिन अस्पताल प्रशासन को बहुत देर से पता लगा और उनको जो सहयोग सरकार के तरफ से मिलना था वो काफी देर से मिला। डॉ. गुप्ता में बताया कि 1 मार्च को यहां से रायपुर मेडिकल कालेज जाकर सहयोग करना शुरू किया।
सभी मरीजों के आंखों में नेत्र ज्योति चली गयी है करीबन 15 मरीजों नेत्र निकालने की नौबत आ सकती है। यहां पर एमजीएम अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसमें तथ्यात्मक बात यह है कि इसमें यहां के जनप्रतिनिधि रमन सिंह और यहां के सांसद अभिषेक सिंह वो अभी तक मरीजों की सुध लेने नहीं गए है।
सरकार कहती है गरीब लोग को स्मार्ट कार्ड मिल गया है। वहां पर केवल 5 लोगों के पास स्मार्ट कार्ड था। सुदूर अंचल आदिवासी इलाकों के मरीज हैं और वहां पर जांच समिति ने जांच के समय पाया कि राजनांदगांव जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में किसी भी प्रकार के मोतियाबिंद के आपरेशन नहीं होते। वहां पर केवल 3 निजी अस्पताल हैं जिनमें आंख के आपरेशन होते हैं। अत्यधिक भीड़ होने के कारण इंफेक्शन होने की नौबत मरीजों में आती है।
छत्तीसगढ़ में नेत्र ज्योति विहीन होने की और आंख जाने की घटना की लगातार यहां की स्वास्थ्य विभाग की नियति है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का जांच दल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगा। कांग्रेस ने अंखफोड़वा कांड की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
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